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________________ नवङ्गी ० पृ० श्रीज्ञाता धर्मकथाङ्गे ॥ ३९ ॥ एक समय कार्तिक चौमासीने दिने पण तेओ मद्यादिना नशामा उन्मत्तनी जेम सुतेला छे. - पंथकमुनि देवसिकप्रतिक्रमणना क्षामणा पछी कार्तिक चौमासीना क्षामणा करवा आचार्यने पगे हाथ मूकतां मद्यना घेन साथे आवेली निद्रामां भंग थवाथी आचार्य क्रोधाय - मानथया छतां पंथकमुनि विनीतभावे निद्रामां करेल स्खलनाना बदले क्षमापना करवा लाग्या अने चौमासीना क्षामणानी हकीकत जणावी. शैलराजर्षिनो पश्चात्ताप अने मोक्षमार्गनुं साध भवितव्यताना योगे पंथकमुनिए करेली क्षमापनाए शैलकराजर्षिना अध्यवसाय पलटी गया अने पोतानी शिथिलता आदिनी आत्मसाक्षीए निंदा करवा लाग्या अने पंथकने खमावी उद्यत विहार करवा तन्मय थया अने मंडुकराजाने जणावी वस्ति मळावी उद्य बिहार कर्मों अने प्रमादने दूर करी ग्रामानुग्राम बिचरवा लाग्या . आ श्रवण थवाथी हर्षित थयेला पहेलां शिथिलता जोईने छूटा पडेला शिष्यो पाछा आवीने मल्या. घणा वर्ष संयम पर्याय पाळी स्वशिष्यो सह श्रीपुंडरीकगिरि जइ महीनानुं अनशन करी आठे कर्मो खपावी केवळज्ञान पामी मोक्षे गया. उपसंहार साधु साध्वी प्राप्त थयेला शिथिलतादिदोषोनो त्याग करी शैलकाचार्यनी जेम स्वदोषोनो त्याग करशे ते आत्मकल्याण साधी मोक्षसुखने पामशे ! आ रीतिए पांचमा शैलकराजर्षि अध्ययननो सारांश समाप्त थाय छे. -he परि० ५पश्चम श्रीशैलक अध्ययन सारांशः ॥ ३९ ॥
SR No.600322
Book TitleGnata Dharmkathangam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagarsuri
PublisherSiddhchakra Sahitya Pracharak Samiti
Publication Year1951
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size32 MB
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