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दुःख थयुं, अरे! मारी मूलना परिणामे आ इंड फूटी गयुं, अरे ! मारा मनने विनोद आपनार मोर आमांथी तैयार न करी शक्यो अने तेनुं मोत थयुं, आथी हृदयमां बलतरा करवा लाग्यो.
बीजा सार्थवाहना पुत्रे योग्य दरकार-संभाल पोताना भागमां आवेल इंडानी रखावी योग्य काले इंडामाथी बहार नीकळेल नाना मयूरने प्रेमपूर्वक व्हालभर्यो आवकार आपी मयूरोने उछेरनारने बोलावी कधु के-आ बालमयूरने तमे लई जई तेने योग्य रीते पालनपोषण करी नृत्यकलादि अने मनरंजक विविधकलादि शिखवाडी लोकरंजन करवामां निपुण बनावो ! आ सांभळी मयूरपोषकलोकोए शेठना पुत्रना कहेवा प्रमाणे कबूल करी ते बालमोरने उछेरी मनोहर कलाओ शिखवाडी लोकरंजन करवामां अति निपुण बनाव्यो अने श्रेष्ठिपुत्रने पाछो सोंप्यो. श्रेष्ठिपुत्रे पण ते मोरनी सर्वप्रकारे हृदयहारी पीछाने फेलाववानी अने नाच करवानी विविध कलाओ करतो जोई हर्षित थई मयूरपालकोने धनादिथी सारी रीते संतोषी विदाय कर्या. श्रेष्ठिपुत्र पोते चंपानगरीना जाहेर जनसमवायोना प्रसंगे बीजाओना | मोरोनी कला नृत्यादि साथे पोताना मोरनी कला वगेरेने ख्यातिमती साबित करी आपवा हजारोना दाव-होड करी बीजाओने हरावे | छे अने हजारो द्रव्य ले छे. आवी रीते ते श्रेष्ठिपुत्र घणी रुद्धिसमृद्धिवालो थयो अने सुखी बन्यो. उपसंहार
हे जंबू ! जे साधु साध्वी दीक्षित थया पछी प्रभुशासनना प्ररूपेला सिद्धान्तोमा शंका आदि राखे छे ते प्रथम श्रेष्ठिनो पुत्र जेवी रीते मयूरप्राप्ति न करी शक्यो तेम मोक्षनी प्राप्ति करी शकतो नथी, अने जे साधु साध्वी प्रभुशासनना प्ररूपेला सिद्धान्तोमा विश्वासहढश्रद्धा राखे छे ते बीजा श्रेष्ठिना पुत्रे जेवी रीते मयूरनी प्राप्ति करी, लोकरंजन करीने पोतानी ख्याति मेळवी, तथा धन आदिथी