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________________ नवाङ्गी ० पृ० श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गे ॥ २८ ॥ शणगार्यु, विविध मनोरंजक -आयोजनो ठेर ठेर योज्यां, बंदीखानाओमांथी केदीओने मुक्त कर्या. एकंदर आखुं गाम नाच-गानतानथी प्रमुदित बनी गयुं. राजमर्यादाने उचित वेपारीओ वगेरेने छूट आपवामां आवी ( श्री कल्पसूत्रमां वर्णव्या मुजब ) दश दिवसनी कुल मर्यादा अनुसार थती विधि पतावी, अशुचि निवारण थयेथी बारमे दिवसे सहु-ज्ञाति स्वजन - मित्र परिवारादिने एकठा करी जमाडी सन्मान-सत्कार करी, अकाले मेघ सम्बन्धी दोहद थवाना कारणे पुत्रनुं शुभमुहूर्ते मेघकुमार एवं नाम पाड्युं. ते पछी पांचधावमाताओथी लालनपालन कराता मेघकुमारे योग्य वय प्राप्त थये उपाध्याय ( गृहशिक्षक ) पासे व्होंतेर कलाओ शीखी विचक्षण थयो युवावस्थामां पगलुं मांडतां मातापिताए होंशमेर उत्तमकुलनी आठ राजकन्याओ साथे एकज दिवसे लम कराव्यां, अने प्रमाणाधिक- अनर्गल धन-सम्पदाओथी भरपूर सुन्दर राजमहेल विषे ते मेघकुमार दोगुंदक देवनी जेम तेमनी साथे यथेच्छ सांसारिक सुखोने अनुभववा लाग्यो. मेघकुमार दीक्षा वर्णन - एकदा श्रमण भगवान्-श्रीमहावीर - देव राजगृहनगरनी बहार गुणशील चैत्यमां समोसर्या, प्रभुनुं पधारखं सांभली नगरना सहु लोको वन्दनार्थे जवा लाग्या. लोकोना समुहने उत्साहमेर जतां जोइने मेघकुमारे जिज्ञासाथी कंचुकी पुरुषने ( महेलना द्वार उपर रहेनार नोकरने) पूछयुं के शुं छे !, आ वधा क्यां जाय छे !; एटले कंचुकी पुरुषे तपास करीने प्रभुश्री महावीरस्वामी पधार्यानी वात करी, तूरतज नोकरो द्वारा सुन्दर चारघोडाथी जोडेला रथने मंगावी तेमां बेसी मेघकुमार पण प्रभु पासे गयो, अने विनयपूर्वक नमस्कार करी प्रभुनी मधुरदेशना श्रवण करवा बेठो. अखण्डदेशना सांभली भवनिर्वेदथी तुरत प्रभु पासे मातापिताने पूछीने संयम छ परिशिष्ट५- उत्क्षिप्त अध्ययनसारांशः । ॥ २८ ॥
SR No.600322
Book TitleGnata Dharmkathangam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagarsuri
PublisherSiddhchakra Sahitya Pracharak Samiti
Publication Year1951
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size32 MB
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