________________
अनिच्छाए पण धारिणीए पोताना दोहदनी बात कही. राजाए राणीने आश्वासन आप्यु, अने पोते सभामां बेसीने मन्त्रीओ साथे विचारणा चलावी. परन्तु आ दोहद तो कुदरती बनावरूप होई मानव शक्तिओथी बहार होवाथी केवी रीते बने !, आ कारणथी सहु चिन्तातुर बन्या. आ समये आवी पहोंचेला अभयकुमारे पिताश्रीनी गमगीनी जोई कारण पूछतां वातनो मर्म जाणी लई कयु के-पिताश्री। दिव्यशक्ति आगल आ वात शी विसातमा छे ! हुं हमणां ज आनो उपाय करुं छु ! एम जणावी पूर्ण विचार करी अट्ठमनो तप करी पूर्व सांगतिक-सौधर्मकल्पवासी देवनो संकल्प करी पौषधशालामा ध्यान धरी बेठो, पुण्यबले ते देव- आसन चलायमान भयु. अवधिज्ञानना उपयोगथी अभयकुमारे याद कर्यानुं जाणी दिव्य रूप धारण करीने तुरतज अभयकुमार पासे हाजर थयो, अने मने शा माटे याद कर्यो छे !, ते पूछवापूर्वक पोताना लायक काम फरमाववा कछु. अभयकुमारे "धारिणीमाताना अकाल मेघ संबंधी थयेल दोहदने पूर्ण करवा " सूचव्यु. देवे तुरत वैक्रिय शक्तिथी अकाले पण सघन चौमासानी ऋतुनो देखाव करी दोहद पूर्ण थाय तेवी गोठवण करवानें कबूल कयु अने अदृश्य थई गयो. क्षणवारमा देवना कह्या प्रमाणे ऋतुनो पलटो निहाली श्रेणिक महाराजाने वधामणीपूर्वक धारिणी-राणीन। दोहदने पूर्ण करवा योग्य तैयारी कराववा विनंति करी. राजाए पण धामधूमपूर्वक राणीनी इच्छामुजब दोहद पूर्ण करावी यथायोग्य रीते गर्भन सन्मान कर्यु तेम विविध अनुकूल गर्भने योग्य आहारविहार सेवता क्रमशः योग्य समये धारिणी राणीए | विशिष्ट लक्षणो युक्त तेजस्वी पुत्रने जन्म आप्यो.
तेनी वधामणीना समाचार आपवा अहमहमिकापूर्वक आवेली दासीओने मारहाजा श्रेणिके तेणीओना जीवनभरना दासीपणाने | दूर कयुं, अर्थात्-प्रमाणातीत इनाम (बक्षीस) आप्यु. राजाए आज्ञाकारी सेवको द्वारा पुत्रजन्मनी खुशालीमा आखाये राजगृहनगरने
FACOCIRCRECORRECIRC3%