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________________ नवाङ्गी१०० भीबाताधर्मकथाङ्गे परिशिष्ट५-उत्क्षिप्त अध्ययनसारांशः। ॥२७॥ ARCH CAROASTERNA सजावेल बाह्य आस्थान-सभा(कचेरी)मां सिंहासन उपर बेसी अष्टांग निमित्तने जाणनारा स्वप्नपाठकोने( ज्योतिषीओने) तेडाव्या अने धारिणीराणीने ओझलपडदामा बेसाडी. स्वप्नपाठको आवीने श्रेणिक महाराजाने आशीर्वादोथी नवाजी योग्य आसन पर बेठा. राजाए धारिणीराणीना स्वप्ननी वात जणावी अने तेना फलादेश श्रवणनी जिज्ञासा करी. पंडितोए तेनो योग्य विचार करी ( कल्पसूत्रमा वर्णव्या मुजब) स्वप्नशास्त्रनो सामान्यथी परिचय आपीने छेवटे प्रस्तुत स्वप्ननो फलादेश जणावतां का के--" धारिणी राणी योग्य समये सर्व लक्षणोथी युक्त पुत्ररत्नने जन्म आपशे, ते पुत्र--विशालसमृद्धिथी शोभता महाराज्यनो भोक्ता थशे, अगर आत्मकल्याण साधी कृतार्थताभर्यु जीवन गुजारनार विशिष्ट अनगार ( साधु ) थशे!" आ सांभली राजाए तेओनो योग्य सत्कार कर्यो, पारितोषिक-इनाम वगेरेथी संतोषी स्वप्नपाठकोने विदाय करी पोते धारिणीराणी पासे गया, स्वप्नना फलादेशनी वात कही, अने तेणे तेणीनी भाग्यशालिता | सूचवी. धारिणी पण पोते उत्तमपुत्रनी माता थवानुं सौभाग्य मल्याथी आनन्दित बनी योग्य रीतिए गर्भनुं पालन करवा लागी. बे महिना जेटलो समय पसार थया बाद धारणीने “सघनमेघघटायुक्त, विजलीओना चमकारा सह मेघनी गर्जनाओथी व्याप्त | सुन्दर चौमासानी ऋतु पूर बहारथी खीली होय अने हुं वैभारगिरिनी गिरिकन्दराओनी वनराजिओमां चतुरंग सैन्यना ठाठ साथे श्रेणिक महाराजा सह विहरण करुं" आवो दोहद प्रगट थयो. धारिणीए अकाले आवी मेघघटा वगेरेनो असंभव विचारी पोताना दोहदनी पूर्णता न थाय तेम होवाथी वात कोईने करी नहीं, किन्तु दोहदनी पूर्ति न थवाथी दिवसे दिवसे धारिणीनुं शरीर कृश थवा लाग्यु अने बेचेनी वधी. आ हकीकत दासदासीओए राजाने कही, अने श्रेणिकमहाराजाए आवीने ज्यारे आग्रहपूर्वक पूछयुं त्यारे ॥२७॥
SR No.600322
Book TitleGnata Dharmkathangam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagarsuri
PublisherSiddhchakra Sahitya Pracharak Samiti
Publication Year1951
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size32 MB
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