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________________ नवाडी- १०० भीवाता CAR धमकथा ॥५३॥ ACCIAAEXRANG चुम्मालीश वर्ष केवलिपर्याय पालीने, समग्र एंशी वर्षनुं आयुष्य पूर्ण करीने परमपदने पाम्या, श्रीजम्बूस्वामीजी मोक्षे गया पछी कोई प्रस्तावना पण केवलज्ञान पाम्युं नथी, अर्थात् केवलज्ञान पामीने मोक्षे गयुं नथी, माटे तेओश्रीने शासनमा अन्तिमकेवलीना नामथी पिछाणे छे. सूत्ररचनानी मर्यादा. 18 रचनानी मानवजीवननी महत्ता समजनारने ज्यारे शासनमान्य-समर्थवक्ता समान महापुरुषोनो समागम थाय छे, अने ते समागममां तिमर्यादा। | तेओश्रीना मुखमाथी नीकलती वीतरागनी वाणीनुं वास्तविक रीतिए पान थाय छे, त्यारे ते ते योग्य भव्यात्माओना विवेकनेत्रो विकसित थाय छे साथे साथे शासनना संस्थापक प्रत्ये आदर-बहुमानपूर्वक सर्वस्वसमर्पणनी सुन्दर भावनाओ जागृत थाय छे. आ शासननी संस्थापना शी रीते थई , केवा संजोगोमां थई !, कोणे करी!, केवी रीते करी !, अने ते रीतिने प्रथम अनुसरनाराओनो सुमेल केवी रीते सधायो, विगेरे अनेकविध प्रश्नोना खुलासा थइ जाय छे, छतां पण श्रद्धाना डगमगता पायाने अतीव द्रढीभूत 12 बनावनारा होय तो शासनमान्य महापुरुषोना जीवनप्रसंगो छे. सघलाए महापुरुषोना जीवनप्रसंगोरूप पवित्र प्रासादना सुवर्णकलश. समान शासनमान्य-शासनसंस्थापक-श्रीमहावीरप्रभु छे, शासनसंचालक श्रीसुधर्मास्वामी छे, अने शासनना परमरहस्योने झीलनार श्रीजम्बूस्वामीजी छे; आ त्रण व्यक्तिओ अग्रगण्य छे, अने तेथी त्रण पुरुषोना जीवनने संक्षिप्तथी समजीने ते पछी आ त्रण पैकि आ महापुरुष पञ्चमगणधरे एकवीस हजार वर्षना शासननी संचालना माटे सूत्रोनी रचनानो प्रारम्भ केवी रीतिए कर्यो ते विचारीए. आसन्नोपकारी अन्तिम तीर्थंकर श्रीमहावीरमहाराजा पासे सुधर्मास्वामीनु आवq थयु, अने भगवाने नामगोत्रथी सम्बोधीने का हृदयगतवेदना परस्पर विसंवादिपदोथी थयेल शहाओ जणावीने तेज पदोना वास्तविक अर्थोथी शबानुं निरसन करवा साथे ते ॥५३॥ CCCCCC Izi
SR No.600322
Book TitleGnata Dharmkathangam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagarsuri
PublisherSiddhchakra Sahitya Pracharak Samiti
Publication Year1951
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size32 MB
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