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शोभित। सम्यक् पूरे है, नमे हुए, लोगोंके,मनोवांछित जिन्होंने अत्यंत, नमताहूं, जिनराजके, चरणोंकुं, उन ।। ज्ञानसे, मालितानि।संपूरिता,ऽभिनत,लोक,समीहितानि। कामं,नमामि, जिनराज,पदानि, तानि ।। 'बोधा में गंभीर,सुंदरपद,रचनारूप,पाणीके,पूरसे, मनोहर । जीव रक्षारूप,नहीं विरली,लहरोंके, मिलनेसे,अगाध,प्रमाणवाले। चूलिकारूप,वेलावाले,
गाधं,सुपद,पदवी,नीर,पूरा,ऽभिरामं। जीवाऽहिंसा,ऽविरल,लहरी,संगमा,ऽगाह, देहं, । चूला, वेलं, मोटे अलावे रूप,रत्नोंसे,भराहुआ,कठिन अंतवाले। सारभूत श्रीवीरके,आगमरूप, समुद्रको, आदरसहित,अच्छीतरह,सेवताहूं। जडमूलसे,
गुरुगम, मणि,संकुलं, दूर पारं। सारं, वीरा, ऽऽगम,जलनिधिं, सादरं, साधु, सेवे॥३॥आमूला, म चपल, ३रजकी,बहुलतावाली, सुगंध,आसक्त हुए,चपल,भमरोंकी,श्रेणीके। झंकार, शब्दसे, उत्तम, निर्मल, पत्रवाले,कमल उपरके, लोल,'धूली, बहुल,परिमला,ऽऽलीढ,लोला, लि,माला। झंकारा,ऽऽराव,सारा,ऽमल, दल, कमला, घरकी, भूमीमें, रहनेवाली। कांतिके, समूहसे,शोभनेवाली, सुंदर, कमल(युक्त),हाथवाली,मुंदर,हारसे, मनोहर । वाणीके, समूहरूप, ऽऽगार,भूमि,निवासे ॥ छाया,संभार, सारे, वर, कमल, करे, तार,हारा,ऽभिरामे। वाणी, संदोह, शरीरवाली,संसारसे,वियोग(मोक्ष)के,वरकुं, दे, मुझे,हेश्रुतदेवी!, प्रधान ।।
देहे, भव. विरह, 'वरं, देहि, मे, 'देवि!, सारं ।४। भाषा स्तवन या नल्लासिक स्तवनादि बोले १ अंतर रहित । २ परस्पर । ४ आगम पाठ। ३ मकरंदवाली। ४ द्वादशांगीरूप ।
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॥८॥
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