SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ # कहाहै, होवो, मोक्षके लिये, वे, जिनेंद्रदेव ।। कषायके, तापसे,पीडित,जीवोंको, शांति । करताहै, जो,जिनेश्वरोंके,मुखरूप, मेघसे. के कथितं, संतु, शिवाय, ते,जिनेंद्राः॥२॥ कषाय,तपा,ऽर्दित,जंतु,निर्वृतिः करोति, यो, जैन, मुखां,ऽबुदो, प्रगट हुआ। वह, जेठ, महिनेमें होनेवाली,वर्षाके, समान। धारण करो,संतोषकुं,मेरे उपर, विस्तार, वाणिका।३। श्वासोश्वासकी, दगतः।स,शुक्र,मासो,दभव, दृष्टि, सन्निभो॥दधातु, तुष्टिं, मयि, विस्तरो, गिरां॥३॥ ३श्वसित, मुंदर, गंधसे, आसक्त हुइ,भमरीरूप,हरणवाले। मुखरूप, चंद्रमाको, हमेशा, धारण करती है,जो,धारण करती है। प्रफुल्लित,कमलको, सुरभि,गंधा, ऽऽलोढ, भुंगी, कुरंगं। मुख, शशिन, मजलं, बिश्नति, 'या. बिभर्ति। विकच,कमल, म ऊंचे प्रकारसे, वह, होवो, अचिंत्य प्रभाववाली। संपूर्ण, मुखको,करनेवाली, प्राणधारीओंको, २श्रुतदेवी ॥४॥ मुच्चै, "सा,ऽस्त्व, ऽचिंत्य प्रभावा। "सकल,सुख,विधातृ, प्राणभाजां, श्रुतांगी॥४॥ संसाररूप,दावानल स्के,तापको ,पाणोजैसे। मोहरूप,धूलको, हरनेमें, पवनतुल्य । कपटरूप,भूमिकुं,खेडनेमें, तीखे, हलजैसे । नमताहूं, संसार संसार".दावानल.दाह.नीरं। संमोह,धली, हरमो. समीरं। माया,रसादारण,सार,सीरं । 'नमामि, वीर(प्रभु)कुं,मेरु पर्वत जैसे,धीरजवान् ।। भावसे नमे हुए, देव, दानव, मनुष्योंके,राजाके। मुकुटों मेंके,विशेष चपल, कमलकी, श्रेणीसे, वीरं, गिरिसार,धीरं॥२॥'भावाऽवनाम,सुर, दानव,मानवे, न। चूला, विलोल, कमला, ऽऽवलि, फx छठे आवश्यकके बाद अंतिम मंगलके लिये तो तीनही गाथा कहनी परंतु देव बंदनमें थइयोंकी जगह चोथी गाथाभी बोलनेमें आसकतीहै। १ हरणका चिन्ह है जिसमें, 15 मे। चतरूप अंगवाली। वनमें लगी हुइ आग। ४शांत करनेकेलिये। *साध्वीयां तथा श्राविका 'नमोऽस्तु वर्द्धमानाय'की जगह 'संसार दावा'की तीन गाथा कहती है । 555555555555555555 २॥ Jain Education n ational For Personal & Private Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy