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F कमल पत्र जैसे,विस्तीर्ण, नेत्रवालो। कमलजैसे,मुखवाली,कमलके,मध्यभाग,समान, गौरो । कमलपर, बैठीहुइ, पूजने योग्य। दो, कमल द- कमलदल,विपुल,नयना। कमल, मुखी,कमल, गर्भ, सम, गौरी। कमले,स्थिता.भगवती। ददातु, ल स्तुति श्रुनदेवी, सिद्धिकुं १॥
ज्ञानादि, गुणोंसे युक्त। स्वाध्याय, ध्यान, संजममें, रक्त। भवन- 'श्रुतदेवता,सिदि।१
ज्ञानादि,गुणयुतानां स्वाध्याय,ध्यान,संयम,रतानां वी स्तुति विशेष करो, मकानकी देवी। कल्याण, सदा, सब, साधुओंका ॥१॥ ९० विदधातु, 'भवनदेवी। "शिवं, सदा, सर्व,साधूनां ॥१॥
जिसके, क्षेत्रको,सम्यग् आश्रय करके । साधुओंसे,साधो जातीहैं,(स्व)क्रिया ।वा, क्षेत्रदेवता, हमेशां। होवो, हमको, मुखदेनेवाली ॥ क्षेत्रदेव- यस्याः, क्षेत्रं,समाश्रिय। साधुभिः, साध्यते, क्रिया॥सा,क्षेत्रदेवता. नित्यं । भूया, नः, सुखदायिनी ता स्तुति नमस्कार हो, वर्द्धमान स्वामीको। सामना करनेवाले, कौसे। उस(कर्म)के जयसे,प्राप्तहुए, मोक्षवाले । परोक्ष स्वरूपवाले,मिथ्यास्वीओंको ।
"नमोऽस्तु, 'वईमानाय। स्पर्द्धमानाय, 'कर्मणा॥ तज्जया,ऽवाप्त,मोक्षाय। परोक्षाय, "कुतीर्थिनां । बर्द्धमा- - जिनके, विकस्वर,कमलोंकी, श्रेणोने। प्रशंसनीय,चरण,कमलोंकी, श्रेणिकु,धारण करती हुइ । सरीखोंसे,ऐमा,मेलाप होना। प्रशंसायोग्य, नाय
'येषां, विकचा,ऽरविंद,राज्या। ज्यायः,क्रम,कमला,ऽऽवलिं, दधत्या॥ सदृशै,रिति. संगतं । प्रशस्यं.
१ गौर वर्णवाली । २ जिनका सामना कोइ न करसके वसे ।
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नमोस्तु
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