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________________ वीर च्यवन अवतरिया बे कूखे .गर्भधारणादि कल्याण जी.सवि जिन च्यवन. अवतरकुंकूखे. कल्याण गर्भधारणादि कल्याण जी। भारव्यु इंद्रे कूखथी.कूखे गर्भधारण.श्रेय त्रिशलाए कल्याण जी. उत्सवे । देववंदन. धनादि वर्षाए. इंद्रादि न मान्यु. अकल्याण जी।१॥ वीर वीरं देवं नित्यं वंदे १ जैनाः पादाः युष्मान् पातु २ जेनं वाक्यं भूयाद्भूत्यै ३सिद्धा देवी दद्यात् सौख्यं४ x "क्षत्रिय कुंडमां अवतर्योः” प्रविजयजी कृत महावीर चत्यवंदनम, "अवयरण जम्म निख्खमण,नाण निव्वाण पंचकल्लाणे । तित्थजयराणं नियमो, करंति ऽसेसेसु खित्तेमु।" जिनभद्रीय बृहत्संग्रहणी पत्र ८८. "गभ्भे (गर्भाधाने टीका) जम्म य तहा, णिरूखमणे चेक णाण णिव्वाणे। भुवणगुरूण जिणागं, कल्लाणा होंति णायव्वा ।३१॥" पचाशक पत्र १५७,जिन अवतरण गर्भधारण श्रेय कल्याण फल जीवोंको माना है, ॐ "तं सेयं खलु ममवि समणं भगवं महावीरं देवाणंदाए माहणोए० कु च्छीओ० तिसलाए खत्तियाणीए. कुच्छिसि गभ्भत्ताए साहरा वित्तए० के मन्ने कल्लामे फल." कल्पसूत्र, त्रिशलाकूखे महावीर अवतरिया, गर्भपणे धारण करनेकी आसोज बदि १३के दिन इंद्रने नमुत्थुणंसे देववंदन धनादि वर्षारूप उत्सव किया। वीर च्यवनमें देवानंदा कूखे अषाढ सुदि ६ कल्याण गर्भधारणमें उत्सव नहीं हुआ तीर्थंकरोंके निर्वाणमें अंधेग होता है ऐसा ठाणांगसूत्रमें है अकल्याण नहीं. "अकल्याणकभूतस्य गर्भापहारस्य"(कि०) "नीचैर्गोत्रविपाकरूपस्य अतिनिद्यस्य"(मु०)"करोषि श्री महावीरे, कथं कल्याणकानि षट् । यत्तेष्वेकमऽकल्याणं, विप्रनीचकुलत्वतः।।"श्रीमहावीरैम ब्राह्मणनीच कुलपणेसे एक अकल्याण,गुरुतत्त्व प्रदीप । यह पंचाशक कल्पसूत्रसे विपरीत प्रभुके अमर्णवावहै । EFFFFFFFFFFERSITY Jan Education International For Personal e Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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