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________________ नग्गए सरे चनव्विहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्न (प्रच्छन्न-छाने) कालेणं (कालसे) दिसामोहेणं (दिशाके मोहसे२) साहुवयणेणं (साधुके वचनसे) महतरागारेणं. सव्व समाहि वत्तियागारेणं वोसि(रइ)रामि ।। सूरे नग्गए पुरिम(पहलेके)ऽड्ढं (आधे दो पहर तक) अवऽड्ढे" (पीछले आधे-३ पहर दिन बीतने-तक)मुठिसहिअंई अवट्टम मूठसी पच्चख्खा(इ)मि चनव्विहंपि आहारं असणं, पाणं, खाइम,साइमं,अन्नत्थ ऽणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं महत्तरागारेणं सव्व समाहिवत्तियागारेणं वोसि(रइ)रामि।। निवि नग्गए सूरे नमुक्कारसहिअं पोरिसी साढपोरिसी मुठ्ठिसहि पञ्चख्खा(इ)मि,नग्गए सूरे चनव्विहंपि 195555555555555555555 एका 21 वादलोंसे धूलसे या पर्वत आदिसे ढंकाहुआ सूरज न दीखनेपर अधूरी पोरिसीकुं पूरी मानके पालकर आहार करले तोभी पञ्चख्खाण भागे नहीं,आधा खाये वादभी खबर सणा पडे तो ठटरजावे,वाकीका आटा पोरिसी परीहए बाद खावे. इसीतरह दूसरे आगारोंमेंभी समझना । २ भूलके पूर्वक पधिम समझले। ३ उग्घाडा पोरिसी भणानेहए साधुओंके विया मुखसे 'उग्घाडा पोरिसी' इस पदमै रहा 'पोरिसी' शब्द सुणके पोरिसी पूरी हुइ समझले और आहार करने लगजाय तो ठहरना आदि उपरकी तरह । दोनं एक साथ पच्चखाने सणादि हो तो पुरिमड्ढ-अब दोन बोलना, अन्यथा जो पञ्चख्खाना हो वह पद बोलना, दूसरा छोडदेना । ४ नवकार सी आदि जिससे एकासणा आदि करनाहो वह पद बोलना बाकीके छोडदेना, यदि पुरिमड्ढ या अबड्डसे करना हो तो 'मरे उग्गए पुरिम९' आदि उपर लि वे मुजब 'सयसमाहि वत्तियागारेणं' तक पहले बोलके पीछे 'एगासण' आदि बोलना । ॥६॥ For Personal Pre Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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