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ऊगेवाद, मूरजके, नमस्कार सहित, मुष्टिसहित२, त्यागता( है) है(इसमें), चारोंही प्रकारके, आहारकुं, अशन, पान, खादिम नवका- नग्गए, सूरे.नमुक्कारसहिअं.मुठिसहिअं, पच्चख्खा (इ)मि, चनविहंपि,आहारं, असणं,पाणं.खाइम.
के स्वादिम, अन्यत्र, अनाभोगसे, उतावलके,आगारमे, मोटेकी आज्ञासे,सर्व, समाधि निमित्तके, आगारसे ,वोसिराता(है)हूं।
साइमं अन्नत्थ. ऽणाभोगेणं.सहसा,गारेणं महत्तरागारेणं,सव्व,समाहिवत्तिया,ऽऽगारेणं,वोसि('रइ)रामि । देशाव
देसावगासिअं (थोडी छूटवाली) (नव)भोगं (खाने-पीनेकी) परिभोगं (ओढने पहरनेकी चीजोंकुं)पच्चख्खा (मि)इ काशिक
अन्नत्थ ऽणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारणं सव्वसमाहि वत्तियागारेणं, वोसि(रामि)रइ ।। पोरिसी 5 * नग्गए सूरे नमुक्कारसहिअं, पोरिसी (पहोरतक),साढपोरिसी (डेढ पहोरतक), मुठ्ठिसहियं पच्चख्खा(इ)मि।
साढपोरिसी
१ दो घडी दिन चढे बाद नवकार गिणु वहांतक । २ नवकार गिणके मुठि खोलुं वहांतक । ३ दाल-भात-रोटी आदि। ४ खजुर-द्राख आदिका पाणी । ५ फल-मेवा आदि । x दूसरेकु पचख्खाना हो तो 'पञ्चख्खाइ' बोलना। ६ शृंठ-कालामरी-इलायची-लविंग-सोपागीआदि। ५ किया पञ्चसखाण भूल जानेसे । ८ वर्षाद पड़ते हुए पाणीके छांटे मुखमें पडजावे अथवा अन्य कोई काम करते हुए खाने पीनेकी कोइभी चीज आपोजाप उछलके मुखमें पड जाय तो भी पचरुखाण भांगे नहीं।९पोरिसी आदि पचरूखाणोसे भी अधिक निर्जराका हेतु और दुसरेसे नहीं बनसके वैसे तीर्थ संघ सेवा आदि मोटे कामके लिये आचार्यादि। १० पञ्चख्खाण करे बाद अकस्मात् उत्पन्न हए रोगादिकी शांतिके वास्ते दवा आदि लेना,इन सब आगार(छट)से। दूसरोंको पाख्खातेहए 'बोसिरद' बोलना। चउदे नियम चितारने वालेने छटी रखी हुइ चीजोंके शिवाय दूसरी सब चीजें इन चार आगारोंसे वोसिराताहै 1 नवकारसी पोरिसी आदि साथही पञ्चख्खानाहो तो उग्गाए मरे से बोलना,अन्यथा पोरिसी आदि जो करानाहो वहाँ('पोरिमी आदि) में बोलना ।
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