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उंचे दर्जेसे,अतिहर्षित मनवालोंके, चित्तकुं आनंदकरनेवाली ॥१॥
(नवकारसी) रुन्चैः प्रमदित मनसां.चित्तमानंदकारी।१०। पच्चख्वाण नमक्कारसहि आदि करना।
___ इच्छतेहैं, गुरुआज्ञाकु.नमस्कारहो, क्षमाश्रमणोंकुं, नमस्कारहो,अरिहंत सिद्ध आचार्थ उपाध्याय सर्व साधुओंको। इच्छामो इच्छामो,अणुसहि, नमो, खमासमणाणं, नमो, ऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुन्यः । अणुसहि परमतरूप, अंधेरैकुं, मूर्थसमान । संसारसमुद्रके,जलकुं,तिरनेमें, उत्तम नाव जैसे । रागरूप,रजकुं ,पवन जैसे । बांदताहूं, भगवान् , परसमय 'परसमय, तिमिर, तरणिं । भवसागर,वारितरण, वर तरणिं। राग, पराग,समीरं । वंदे, देवं, तिमिर महावीरकुं ११ रोकेहै, संसारमें, भ्रमण, कारक । दुःखसे अंतवाले ८,भावशत्रुगणजिन्होंने ऐसे), अस्पत। हमेशा, केवलियों में,
महावीरं ॥१॥ निरुह,संसार,विहार,कारि। दुरंत, भावारिंगणा, निकामं ॥ 'निरंतरं, केवलि. Fउत्तम ,तुम्हारा । भववहनेवाले ,मोहके,समुदायकुं,हरणकरो ।२। संदेहकारक, मिथ्यामतके आगमसे,पेदाहुए, गुप्त। मोहरूप, कादेकुं, जासत्तमा,वो। भवावहं, मोह, भरं, "हरंतु ॥२॥'संदेहकारि, कुनयागम, रूढ, गूढ । संमोह, पंक, | हरणेमें, निर्मल,जलके, पूरजैसे । संसार, समुद्रकुं, पार उतरनेमें, मोटे,नावजैसे। वीरके आगमकुं, परमसिद्धि करनेवाले, नमताई ।। हरणा.ऽमल.वारि, पूरं॥संसार,सागर,समुत्तरणो,रु. नावं। वीरागमं, 'परमसिद्धिकरं.'नमामि ॥३ १ ख.मि हि ।। २. हटानेमें। ३ उडा देम । दुःखसे अंत नाश)हो सके जिनका ऐसे रागादि । ५ तीर्थ कर । ६ जन्म मरण करानेवाले । ४ नमुत्थुणं कके देववंदन करे।
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॥५३॥
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