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________________ के वहां रहे, चैत्योंकु, वांदताहूं । वैताठ्यपर्वतपर,मेरुशिखरपर,रुचक गिरिवरउपर,कुंडलगिरिपर,गजदंतेपर। वक्षस्कारपर, ५२कूटवालेनंदीश्वरद्विपमें, तत्र, चैत्यानि,' वंदे।शवैताब्ये,मेरुशंगे, रुचक गिरिवरे, कुंडले, हस्तिदंते। वरुखारे, कूट नंदीश्वर, कनकगिरिउपर, निषधगिरिपर,नीलवंत उपर । चित्रपर्वतउपर,विचित्रगिरिउपर,यमक गिरिवर उपर, चक्रवाल(गिरि) में, हिमवंतगिरि उपर । कनक गिरौ, नैषधे, नीलवंते॥ चित्रे शैले, विचित्रे, यमक गिरिवरे, चक्रवाले, हिमाद्रौ। # श्रीमत्तीर्थंकरोंके० ।। श्रीशैलउपर,विंध्याचलकेशिखरउपर,विमलगिरिवरमें निश्चय आबूजीमें, पावापुरिमें, तथा। सम्मेतशिखरपर, श्रीमत्तीर्थंकराणां०।।श्रीशैले, विंध्यशंगे, विमल गिरिवरे, ह्यऽर्बुदे, पावके, वा। सम्मेते, तारंगाजीमें,तथा,कुलगिरिके शिखरपुर,अष्टापदजीमें, स्वर्णशैलमें । सह्याचलमें, वैजयंत(गिरि)में, विपुलगिरिवरमें,गुजरातमें, रोहणाचलमें। तारके,वा,कुलगिरिशिखरे, ऽष्टापदे,स्वर्णशैले॥ सह्याद्रौ, वैजयंते, विपुलगिरिवरे.गुर्जरे, रोहणाद्रौ। श्रीमत्तीर्थंकरोंके० ॥३॥ आघाटदेशमें,मेवाडदेशमें,पृथ्वीतटके, मुकुट(समान),चितोडउपर त्रिकूटाचलमें। लाटमें,नाटमें,और घाट(घाट)देशमें, श्रीमत्तीर्थंकराणा०।३।आघाटे,मेदपाटे,क्षितितट. मुकुटे. चित्रकूटे, त्रिकूटे। लाटे,नाटे,च,घाटे(धाटे), क्षोंसे,घांठेतटवाले,देवगिरिउपर,विगड(देश)में । कर्णाटकम, हेमकूटमें, अत्यंतविशाल,कटवाले,चक्रकूटपर,और,भोटदेशमें । श्रीमत्तीर्थंकरोंके० ४ विटपि,घन तटे, देवकूटे, विराटे॥ कर्णाटे,हेमकूटे, विकटतर, कटे,चक्रकूटे,च,भोटे।श्रीमत्तीर्थंकराणां४ १ राजगृहीके पांच पहाडोंमें चोथा या शाश्वते दो सौ । २ जालोर(मारवाड)का गढ,या गवालियरके पास रहा सोनागिरि, जोकि अभी दिगंबरोके ही आधीनहै । ३ राजगृहीके प्रथम पहाड । Jain Education Internation For Personal Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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