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________________ उवज्जाए आचार्य, उपाध्यायोंकुं। शिष्योंकुं, साधर्मियोंकुं, कुल,गणोंकू,फेर। जो,मैंने, कोइ, रीसायेहो। सबकुं, त्रिविधकरके, खमाताहूं। भा, *आयरिय,नवज्झाए। सीसे,साहम्मिए,कुल,गणे,अ। जे,मे,केइ,कसाया।सव्वे.तिविहेण,खामेमिश सब, श्रमण संघ(साधुसमुदाय)से । पूज्य, अंजलि, करके, शिरपर। सबकुं, खमवाके। खमाताहूं, (उन)सबकुं, सव्वस्त, समणसंघस्स। भगवओ, अंजलिं,करिय, सीसे ॥ सव्वं,खमावइत्ता। खमामि, सव्वस्स.. मैं भी। सब, जीवोंकी राशिसे। भावसे, धर्म में, स्थापित, निज,चित्तवाला(मैं)। सबकुं, खमवाके । पंपि॥२॥सव्वस्स,जीव रासिस्स।'भावओ,धम्म,निहिअ.निअ. चित्तो॥ सव्वं, खमावइत्ता। खमाताहूं, (उन)सबकुं, मैं भी। देवसिमें करेमि भंते इच्छामि ठामि०,चारित्र दर्शन ज्ञानके काउसग्ग २-१-१ लोगस्सके। जखमामि, सव्वस्स, अहयंपिकरेमि भंते इच्छामिठामि छमासी तपचिंतवन छ लोगस्स काउसग्ग। ॐ अच्छि भक्तिसे, देवलोकमें, मूर्य, चंद्रके,विमानमें, व्यंतरोंके, निकायमें। नक्षत्रोंके, निवासमें, ग्रहगणके,पटलमें", तारोंके, सकल सद्भक्त्या, देवलोके,रवि,शशि,भवने,व्यंतराणां,निकाये।नक्षत्राणां,निवासे,ग्रहगण,पटले,तारकाणां 5 विमानमें। पातालमें, नागेंद्रोंके, प्रगट,मणियोंकी,किरणोंसे,नाशहए, अतिअंधकारवाले। श्रीमत् तीर्थंकरोंके,प्रतिदिन(हमेशा), मैं, विमाने॥पाताले, पन्नगेंद्रे.स्फुट,मणि, किरणे, ध्वस्त,सांद्रांधकारे। श्रीमत्तीर्थंकराणां, प्रतिदिवस, महं, * यह सहो"योगशास्त्र द्वीर प्रश्नमें श्रावकको बोलनेकाहै या श्रावककी तरफसे साधु बोले । १ मेरे अपराधोंकु । २ जीवोंके समुदायसे । ३निवास स्थानमें । ४ विमानमें । ५. प्रतरमै । 3555555555555फ ४४ तीर्थ नमस्कार फफफफफफफफ 2312055फ Jain Education national For Personal Private Use Only allelibrary.org
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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