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+ पीछाहटताहूं, तीन, दंडोंसे मन दंडसे, वचन दंडसे, काय दंडसे। पीछाहटताहूं, तीन गुप्तियोंके(दोष)से, मनगुप्तिसे,वचनगुप्तिसे.
पडिक्कमामि,तिहिं.दंडेहि-मणदंडेणं,वयदंडेणं,कायदंडेणं। पडिकमामि,तिहिंगुत्तीहिं-मणगुत्तीए.वयगुत्तीए. # काय गुप्तिसे । पीछा हटताहूं, तीन, शल्योंसे-कपट शल्यसे, नियाणा' शल्यसे, मिथ्या दर्शन शल्यसे। पीछा हटताहूं, कायगुत्तीए। पडिक्कमामि,तिहिं,सल्लेहिं मायासल्लेणं,नियाणसल्लेणं, मिच्छादसणसल्लेणं । पडिक्कमामि, नि.गारवों(अभिमानों से ऋद्धिके गर्वसे, रसके गर्वसे, साताके गर्वसे। पीछाहटताहूं, तीन, विराधनाओंसे-ज्ञानकी विराधनासे, तिहिं,गारवेहिं - इट्ठीगारवणं,रसगारवेणं.सायागारवेणं। पडिक्कमामि.तिहिं,विराहणाहिं - नाणविराहणाए. ॐ दर्शनकी विराधनासे, चारित्रकी विराधनासे। पीछाहटताहूं, चार, कषायोंसे-क्रोध कषायसे, मान कषायसे, माया
सण विराहणाए.चरित्तविराहणाए । पडिक्कमामि,चनहिं,कसाएहिं कोहकसाएणं,माणकसाएणं,माया
कषायसे, लोभ कषायसे। पीछाहटताहूं, चार, संज्ञा(वांछा)ओंसे-आहार संज्ञासे, भय संज्ञासे, मैथुन(दुराचार)संज्ञासे, परिग्रह ॐ कसाणं.लोभकसाएणं। पडिक्कमामि.चनहि,सन्नाहि-आहारसन्नाए,भयसन्नाए मेहुणसन्नाए, परिग्गह
संज्ञास। पीछाहटनाहूं. चार. विकथाओंसे-स्त्रीयोंकी कथासे,भोजनकी कथासे,देशकीकथासे,राजकीकथासे । पीछाहटताहूं, चार, सन्नाए। पडिकमामि,चनहि,विकहाहि-इत्थीकहाए,भत्तकहाए,देसकहाए,रायकहाए।पडिक्कमामि.चनहिं
१ तपस्यादिके प्रभाव से भवांतरमें देव मनुष्यादि ऋद्धिकी अभिलाषा रूप ।
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