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________________ F45555555555555555555555 ध्यानों(के दोष)से-आत ध्यानसे, रौद्र ध्यानसे, धर्म ध्यानसे, ३शुक्ल ध्यानसे। पीछाहटताहूं, पांच, क्रियाओंसे झाणेहि-अटेणं झाणेणं, रुदेणं झाणेणं,धम्मणं झाणेणं,सुक्केणं झाणेणं । पडिक्कमामि पंचहिं, किरियाहिंकायिकीसे ,अधिकरणिकी(शस्त्रादि)से.प्रादेषीकी से, पारितापनीकी से, प्राणातिपात(हिंसा)कीक्रियास। पीछाहटताहूं. पांच, कामकाइयाए, अहिगरणियाए.पानसियाए, पारितावणियाए,पाणाइवायकिरियाए।पडिक्कमामि.पंचहि काम5 गुणोंसे-शब्दसे, रूपसे. ससे, गंधसे, स्पर्शसे। पीछाहटताहूं. पांच. महादतों(के दोष से-प्राणातिपात(हिंसा)से, विरमना, गुणेहिं-सद्देणं,रूवेणं, रसेणं, गंधेणं,फासेणं । पडिक्कमामि, पंचहिं, महव्वएहि-पाणाइवायाओ, वेरमणं. मृपावाद(झूट)से, विरमना, अदत्तादान(चोरी)से, विरमना,मैथुन(कुशील)से,विरमना, (धनादि नवविध)परिग्रहसे,विरमना। पीछाहटताहूं, मुसावायाओ,वेरमणं,अदिन्नादाणाओ, वेरमणं, मेहुणाओ, वेरमणं, परिग्गहाओ, वेरमणं । पडिकमामि. पांच, समितिओं(के दोष)से-ईर्या समितिसे, भाषा समितिसे, एषणा ‘समितिसे, लेने(तथा),भांडमात्र के, रखनेकी, समितिसे, पंचहि,समिईहिं-ईरिया समिइए,भासासमिइए.एसणासमिइए आयाण, भंडमत्त, निख्खेवणा,समिइए, 55555फफफफफफफफफ55454545454545 1 दुःख चिंता। २ जीव मारणादिके । ३ ये दो ध्यान नहीं थ्यानेसे। ४ काया संबंधी। ५ दृसरों पर द्वेषसे । ६ स्वपरको ताप (दुःख) दनसे। ७ निवतना । ८ चलनमें उपयोग रखना. वह न रखनेसे । ९ गौचरि आदिके दोषोंकी तलाशी। 10 सब उपकरणों । Jain Education n ational For Personal Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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