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________________ 45555555555555555555555555 रजके स्पर्शवाली लानेसे, ढोलते दी हुइ लेनेसे, परठके दिया लेनेसे, उत्तम वस्तु मांगनेरूप भिक्षासे,जो, उद्गमसे, उत्पादना एपणासे, रयसंसठ्ठहडाए पारिसाडणियाए, पारिठ्ठावणियाए, ओहासण भिख्खाए,जं,नग्गमेणं,नप्पायणेसणाए, में पूराशुद्धनहींहै',ग्रहणकियाहो, खायाहो, अथवा,जो,नहीं, परठाहो, उससंबंधी,मिथ्याहो,मेरे, दुष्कृत। पीछाहटताहूं, चारकालमें, अपरिसुद्ध,पडिग्गहियं,परिभुत्तं, वा, जं, न,परिठवियं तस्स, मिच्छा.मि,दुक्कडंश पडिकमामि,चानक्कालं. में सज्झाय(मूत्रपाठ)के, नहींकरनेसे, उभय(दोन) काल, (वस्त्रादि)भांडोपकरणको, नहींपडिलेहणेसे, खरावपडिलेहणेसे, नहींप्रमार्जनेसे', सज्झायस्स अकरणयाए उभओ.कालं,मंडोवगरणस्स,अप्पडिलेहणाए,दुप्पडिलेहणाए.अप्पमजणाए. खरावप्रमार्जनेसे, अतिक्रममें ,व्यतिक्रममें ,अतिचारमें,अनाचारमें,जो,मैंने रात्रिसंबंधी, अतिचार,कियाहो, उसका,मिथ्याहो, मेरे, दुष्कृत । दुप्पमजणाए, अइक्कमे,वइक्कमे,अइयारे,अणायारे,जो,मे, राइओ, अइयारो,कओ.तस्स,मिच्छामि,दुक्कडं पीछाहटताहूं, एकप्रकारके, असंजमसे। पीछाहटताहूं, दो, बंधनोंसे-रागके, बंधनसे, द्वेषके, बंधनस। पडिक्कमामि, एगविहे.असंजमे ॥ पडिकमामि,दोहिं,बंधणेहिं - राग,बंधणेणं,दोस,बंधणेणं २॥ ज१ वहरानेके भाजनमें रही चीजउतावलसे नाखके उसी भाजनसे । २ वैसा आहागदि। ३ परठने योग्यको। ४ नजरसे न देखनेसे । ५ ओघेसे न पूंजनेसे । ६ आधाकर्मादि दोष दूषित आहारके निमंत्रणको स्वीकारना. 'अतिक्रम.'। ७ दूषित आहार लेनेको जाना. 'व्यतिक्रम'। ८ उसीको ले लेना 'अतिचार' । ९ वह दूषित आहार लाकर - खालेना. 'अनाचार' है। * देखो पृष्ट ३७मे । x आधाकर्मादि सोले उद्गमके. उद्देशिकादि सोले उत्पादनाके तथा शकितादि दश एषणाके दोषोंसे । ॥४०॥ For Personal Private Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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