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________________ 55555555555555 शत्रुकेबलको ।७। जयवंतेव”,हेयोगियोंके,मनरूप, कमलमें, भ्रमर !,हेभयरूप,पिंजरेकोर, हाथी !। हेतीनभुवनके, जनोंको, आनंदकेलिये, रिउ बलु॥७॥ जय, 'जोइय, मण, कमल,भसल!, भय, पंजर,कुंजर!। तिहुअण, जण, आणंद, # चंद्र !. हेभुवनत्रय, दिनकर(मूर्य) ! । जयवंतेरहो, हेमतिरूप, मेदिनीकोर, मेघ !, हेजगज्जीवोंके, पितामह(दादे) ! । खंभातमें विराजमान है चंद!,भुवणत्तय, दिणयर !॥ जय, मइ, मेइणि,वारिवाह !, जयजंतु, पियामह! । थंभणयठिय. हेपार्श्वनाथ !, नाथपणा,(आप)करो, मेरा । ८ । बहुतप्रकारके,वर्णसे, अवर्णसे ,शून्यपणेसे ,वर्णवागयाहै, (जो)पंडितोंसे । मोक्ष, धर्म, पासनाह !, नाहत्तण,कुण, मह ॥८॥'बहुविहु, वन्नु, अवन्नु, सुन्नु, वन्निउ, 'छप्पन्निहि। 'मुख्ख,धम्म में काम, अर्थ(धन)के,अभिलाषी,मनुष्य, अपनेअपने, शास्त्रों में। जिसको, ध्याते हैं, बहुत, दर्शनों में रहे, (वास्ते)बहुत,नामोंसे प्रसिद्धहै । काम, ऽत्थ, काम, नर, नियनिय, सत्थिहि ॥जं, ज्झायइ, बहु ,दरिसणथ्थ, “बहु, नाम,पसिद्धन। + वह, योगियोंके,मनरूप,कमलमें,भमरे( जैसे), मुखकी,पार्थप्रभु, वृद्धिकरो । ९ । भयसे, विह्वल ,रणझणाटकरते,दांतवाले,थरथरितहुए, सो,जोइय,मण,कमल,भसल, सुहु, पास.२पवन॥९॥'भय,विभिल, रणझणिर,दसण,थरहरिय, शरोरवाले। चंचलहुए, नेत्रवाले, खेदपाये,शून्यचित्तवाले, गद्गद,बोलीवाले,दीनतावाले । तुमको, जल्दी, समरतेहुए, होतेहैं, मनुष्य, कसरीरय।तरलिय.नयण.विसन्न, सन्न, गग्गर, गिर. करुणय ॥'तड."सहसत्ति.'सरंत. हंति. नर. nam 51 रागद्वेषादि। २ तोडनेकेलिये। ३ पृथ्वीको भीजानेमें। ४ रूपी-अरूपीपणेसे । ५ निराकार रूपसे । ६ मतोंमें । ७ आकुलव्याकुल-डाकाचक । ८ धूजतेहुए । trdnerational For Personal B P Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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