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________________ | नाशकिये, मोटे, भयवाले। मेरे, नाशकरो, भयोंको. हेपार्थ!,भयके,पिंजरेको,हाथीतुल्य । १०। (आप)स्वामीको, देखके, नासिय,गुरु, दर । मह, विज्झवि,"सज्झसइ पास!, भय,पंजर,कुंजर॥१०॥ 'पइं, पासि, विकसित(खिले)हुए,नेत्ररूप,रपत्रकेअंतसे,प्रवर्तितः । आंसुओंके,पवाहसे ,अत्यंतवहगयेहै',जमेहुए,दुःख,दाह(जिनके ऐसे), अच्छेपुलकित हुए। वियसंत, नित्त, पत्तंऽत,पवित्तिय ।बाह, पवाह, पवढ, रूढ, दुह, दाह, सुपुलइय ॥ मानतेहैं, मान्य, भाग्यवंत, पवित्र,अपनेआपको, देव, मनुष्य । इसलिये,तीनभुवनके,आनंदमें,चंद्रजैसे,जयवंतेवर्तो, हेपार्श्वजिनेश्वर ! ११॥ 'मन्नइ, मन्नु, सउन्नु, पुन्नु, अप्पाणं, सुर, नर। इय,तिहुअण,आणंद, चंद, “जय, पासजिणेसर!।११॥ आपके, कल्याणक,महोत्सवोंमें, घंटाके,टंकारशब्दसे, प्रेरितहुए। हिलतीहुइ,मालावाले,(तथा)मोटी, भक्ति वाले, देववर ९, रोमांचित हुए। है तुह, कल्लाण, महेसु, 'घंट,टंकाऽऽरव,पिल्लिय। वल्लिर, मल्ल, महल्ल, भत्ति, 'सुरवर, गंजुल्लिय॥ + (तथा)उतावलेहुए, प्रव । भुवनमेंभी०, महोत्सव । इसलिये, तीनभुवनके, आनंदवास्ते,चंद्रजैसे(तथा),जयवंतेवर्ती, हेपार्श्व !, # हल्लुप्फलिय, पवत्तयंति, भुवणेवि, महसव। इय, तिहुअण, आणंद, चंद, जय, ‘पास !, मुखकीखान । १२। निर्मल, केवलज्ञानकी, किरणोंके,समुदायसे, नाशकियाहै, अज्ञान, समूहजिसने । दिखायेहै, सकल, पदार्थोके, में 'महाभव॥१२॥ निम्मल, केवल, किरण, नियर, विहुरिय, तम, पहयर । दसिय, सयल.पयत्थ, Fila तोडनेकेलिये । २ कमल । ३ शुरुहुए । ४ पूरसे । ५ नाश हुए है। ६ प्रफुलित रोमांच । ७ जन्मादि । ८ मुधोषाआदि । ९ चोसठ इंद्र। 10 आखे लोकमें । 11 सब जीवाजीवादि । SIC Jain Education national For Personal Private Use Only D aininelibrary.org
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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