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फरते हैं (और), सुबुद्धिवाले। पंडित, अत्यंत चतुर (पावसे डरने वाले)। निवर्त (हट)ते हैं, कामभोगों से । जैसे, वह, पुरुषों में उत्तम ॥ ११ ॥ ऐसा, बोलता हूं । करंति, संबुद्धा। पंडिया, पवियख्खणा ॥ विणियति, "भोगेसु । `जहा, से, पुरिमुत्तमो ॥११॥ त्ति, बेमि ॥ (१७ मेदे) संजममें, अच्छे थिर आत्मावाले। विशेषमुक्त, स्व-परके रक्षक । उनकुं, ये, आचरणे योग्य नहीं है। निग्रंथ, महर्षि (साधु-साध्वी) योंकुं। १ । 'संजमे, सुहिअप्पाणं । विप्पमुक्काण, ताइणं ॥ तेसि, मेय, मऽणाइण्णं । निग्गंथाणं, महेसिणं ॥१॥ उद्देशिक,वेचाती लाया । नीमंत्रा (नोतरा ) हुआ, सामे लाया, फेर। रात्रिभोजन, स्नान करना, फेर। सुगंधी फूलमाला, और, वजनाचलाना | २ | 'नद्देसियं, कीयगडं । नियाग, मऽभिहडाणि, य ॥ `राइभत्ते, "सिणा, 'य। गंध, मल्ले, "य, "वीयणे ॥ २॥ "भोजनसंग्रह, गृहस्थी का वासण, और । राजपिंड आहारादि, दानशाला सेलेना । तेलआदि लगाना, अंगुली से दांतधोवणे, और । गृहस्थ कुंकुशलपूछना, संनिहि, गिहिमत्ते, य। 'रायपिंडे, "किमिच्छए । 'संवाहणं, 'दंत पहोयणा, य। 'संपुच्छणं, शरीरमुख काचमें देखना, फेर | ३| जुगार रमणा, फेर, पाने आदिरमणा । छत्रकुं, फेर, धारणकरना, अनर्थके लिये है । वैदगीकरना, पगरखे (मोजे), "देह पलोयणा, "य॥३॥ अठ्ठावए, य, नालीए । छत्तस्स, य, 'धार, 'ऽणठ्ठाए ॥ तेगिच्छं, पाहणा, पगों में पेरने । आरंभ करना, फेर अग्निका |४| _aaratar, आहारादि लेना, फेर । सादडी - पर बैठना, पलंग आदिमें सुणा । पाए। "समारंभं, "च जोइणो ॥४॥ 'सिज्जायर, पिंड, च। आसंदी "पलियंकए ।
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1 रहनेमि भोगोंसे निवर्ता वैसे । २परिग्रह रहित । ३ आगे लिखी बावन बातें | ४ रागादि ग्रंथ (धन) रहित । ५साधुके वास्ते बनाया आहारादि । ६ चंदनादि लगाना । ७रातको ८ वा निमित्त कहना ।
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