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कर, रागकुं। ऐसाकरनेसे, मुखी, होवेगा, संसारमें ।। पडते हैं (पण), वलतीहुइ आगमें । आमाली,दुःखे सहनहो वैसी विणएज्ज, रागं। "एवं, सुही,होहिसि, संपराए।५। परूखंदे, जलियं,जोई। धूमकेनं, दुरासयं॥
इच्छते हैं,वमा(विष),भोगव(चूस)ना। कुलमें,जन्मे(सर्प), अगंधन(नामके)।६। धिक्कार, हो, तेरेकुं,हे अपजसके, अभिलाषी, जो, तूं . नेति . 'वंतयं, भोत्तुं। कुले. जाया, 'अगंधणे।६। धिर,ऽत्थु, ते, 'ऽजसो, कामी ! 'जो,तं, असंजम जीवणेके लिये। वमे(भोगों)कुं,इच्छताहै(इससे तो जो),पीलेना।श्रेष्ठहै,तेरा,मरणा,होवे(तो) ७ मैं, फेर,उग्रसेन राजाकी पुत्रीहूं। जीवियकारणा॥ वंतं, 'इच्छसि, "आवेनं। सेयं, ते,मरणं,भवे ॥७॥ अहं,'च, भोगरायस्म। तूं ,और, है, समुद्र विजयराजाका पुत्र। नहीं, कुलोंमें,गंधनकुलके,हो। (वास्ते)। संजममें, स्थिर मनसे, चाल । जो, तूं , कोणा(तो), तं, च, सि, अंधगविहिणो॥मा, कुले, गंधणा. होमो। संजमं,निहुओ,चर ॥८॥'जइ,तं, काहिसि (खोटे)भावकुं। जिण जिण,देखेगा(और उनमें),स्त्रीयोंकुं। वायरेसे,हलाये,जैसा,हडनामके झाड । अस्थिर आत्मा, होवेगा । तिसके,
"भावं। जा जा, दिच्छसि, नारिओ॥वाया,विद्ध व्व, “हडो। अटिअप्पा,भावस्ससि ॥९॥तीसे. वो', वचनकुं, सुणके। संजमवाली, अच्छे कहे। अंकुशसे, जैसे, हाथी । धर्ममें सारी रीते स्थापित हुा ।१०। इसतरह, 'सो, वयणं,सोचा। संजयाइ, 'सुभासियं ॥ अंकुसेण, जहा, नागो।धम्मे,संपडिवाइओ॥१०॥ एवं, 5 १ हेरहनेमि! । २ अपने दोनों । ३ सर्प जैसे अपने दोनों। ४ चलचित्त . ५ संसारमें भमेगा । ६ राजिमतीके । ७ रहतेमि । ८.ठिकाणे आने वैसे । ५ सजमम मनको मिर।
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