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दो घरोंके बोच,देठे सुवे,फेर । शरीरका मेल पीठो आदिमे उतारणा,फेर ।। गृहस्थकी वेयावच्च करना । जो,फेर,जाति आदिसे निर्वाहचलाना। गिहतर, निसिज्जा, य। "गायस्सुव्बट्टणाणि, 'य।५।'गिहिणोवेयावडियं। जा,य, आजीववत्तिया ॥ तपाया,नहीं अचिनहुआ पाणी,पीणापोडानेपर,पूर्वसुखस्मरण करना,फेर।३। सचित-मूला,आद्, और । शेटडोके टुकडे,नहीं अचित्तहुए। तत्ता, निव्वुड, भोइत्तं। 'आनर, स्सरणाणि, य॥६॥मूलए, सिंगबेरे, य। नच्छु खंडे, अनिव्वुडे ॥ कंद वत्रादि, मूर,फेर, सचित्त । फल,तिलादि वीज,और,सचित्त(कञ्चे) ७) संचललूण, सिंघालूण,कच्चासांपरलूण। रोमालूण(खाणका),
कंदे, मूले, 'य, सञ्चित्ते।"फले, बीए, "य, आमए॥णासोवच्चले, सिंधवे, "लोणे। रोमालोणे, फेर, सचित्त । समुद्र कालूण,उपर भूमिकालूग, और । कालालूण लेना, और, सचित्त । “धूपकरणाः,इसीतरह, वमन करना,फेर । य, आमए । सामुद्दे, पंसुखारे, 'य। कालालोणे, य, आमए॥८॥ 'धूवणे, 'त्ति, वमणे, 'य। वस्तिकर्म करना, जुलावलेना । काजलादिआंजना,काष्ठ दातण करना,फेर। शरीरमें तेल मसलके,शोभा करनी ।। सबसवावन बातें], ये,
वत्थिकम्मे, विरेयणे॥ "अंजणे, दंतवण्णे, 'य। गायाऽभिंग, विभूसणे॥९॥ सब, मेअ, नहीं आचरणे योग्यहै। निग्रंथ महर्षि-साधुओंकुं। संजममें, फेर,युक(उद्यमवाले) । वायुकी तरह, अप्रतिबद्ध विचरणेवाले ॥१०॥
मणाइण्णं । 'निग्गंथाण, महेसिणं ॥संजमम्मि, य, 'जुत्ताणं । 'लहुभूय, विहारिणं ॥१०॥ 22 भूखले या रोगादिश । २ या दोषित(आचारी) को आश्रा देना। ३ सारे आदिके। ४ सुगंधकेलिये वबादिको ।५ या रोगशांतिकेलिये धुंआ पीना । ६ पेटका मल निकालना ।
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