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________________ Jain 15859 चंदपन्नत्ती (चंद्रज्ञप्ति) दीवसागरपन्नत्ती (द्वीपसागरमज्ञप्ति) खुडिड्या विमाणपविभक्त्ती [बुद्धिका विमान प्रविभक्ति] मल्लिया विमाण पविभत्ती (महति महल्लिका- विमान प्रविभक्ति) अंगचूलियाए (अंगचूलिका) वग्गचूलियाए (वर्गचूलिका) विवाहचूलियाए (विवाह- व्याख्या - चूलिका) अरुणोववाए (अरुणोपपात) वरुणोववाए (वरुण) गरुलोववाए (गरुडोपपात) धरणोववाए (धरणोपपात) वेसमणोववाए (वैश्रमणोपपात) वेलंधरोववाए (वेलंधरोपपात) देविंदोववाए (देवेंद्र पपात) नट्टाणसुए (उत्थानश्रुत) समुठ्ठाण सुए (समुत्थानश्रुत) नागपरिआवलिआणं (नागपरिज्ञायलिका) निरयावलियाणं (निरयाबलिका) कप्पियाण' (कल्पिका) कप्पवडिंसयाणं (कल्पावतंसक) पुष्फिआणं (पुष्पिका) पुप्फ चूलियाणं (पुष्पचूलिका) [ वहिआणं (वृष्णिका ) ] वहिदसाणं (वृष्णिदशा) आसीविसभावणाणं (आशीविषभावना दिठ्ठीविसभावणाणं (दृष्टिविषभावना) चारण समण भावणाणं (चारण श्रमण भावना) महासुमिण भावणाणं (महास्वप्न भावना) तेअग्गि निसग्गाणं (तेजोऽग्नि निसर्ग सव्वेहिं पि एयम्मि अंगबाहिरे कालिए (कालिक में) भगवंते ससुत्ते अत्थे सग्गंथे सनिज्जुत्तिए ससंगहणिए जे गुणा वा भावा वा अरिहंतेहिं 112 5411 कल्पिकादि वृष्णिदशातक पांचोंहीसूत्र 'निरयावलिका के वर्ग है । २ टीका अवचूरिमें एवं भाषांतर में यह पद नहीं है, परंतु मूलकी पुस्तकों में होनेसे इनको बाकीट ( ) में रख है । International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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