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नमस्कार हो, उन, क्षमाश्रमणों (मुनिओं) कुं, जिन्होंने, इस-यह, वांचा है', छ प्रकार के आवश्यककुं, अतिशयवाले। वह इसतरह है - सामायिकः १, नमो, "तेसिं, खमासमणाणं, जेहिं, इमं, वाइयं, 'छव्विहमावस्सयं, 'भगवंतं । तेजहा - सामाइयं१. चतुर्विंशतिस्तव २, वंदनक (बांदा) ३, प्रमिक्रमण ५ ४, कायोत्सर्ग ५, प्रत्याख्यान ६ । सब ही, इस. छ प्रकारके, चनवीसत्थओर, वंदणयं ३. पडिक्कमणं ४, कानस्सग्गो५, पञ्चख्खाणं६ । सव्वेहिं पि, एयम्मि, छव्विहे, आवश्यक में ऐश्वर्यादियुक्त, (मूल) सूत्र सहित, अर्थ सहित, ग्रंथ सहित, निर्युक्तिसहित संग्रहणीसहित, जो, गुण, या, भाव', अरिहंत, आवस्सए, 'भगवंते, ससुत्ते, सअत्थे, सग्गंथे, सनिज्जुत्तिए, ससंगहणिए, "जे, गुणा, वा, भावा वा, अरिहंतेहिं, भगवंतोंने बताये हैं, अथवा, प्ररूपे हैं, चाहे, उन, भावोंकुं, सदहते हैं, प्रीतिसे स्वीकारते हैं, रोचते हैं, फरसते हैं, पालते हैं, भगवंतेहिं, पन्नत्ता, वा, परुविया, "वा, "ते, भावे, सद्दहामो, पत्तियामो, रोएमो, फासेमो, पालेमो, वारंवार पालते हैं, उन, भावोंकुं, सद्दहने हुए, प्रीती से स्वीकारते हुए, रोचते हुए, फरसते हुए, पालते हुए, वारंवार पालतेहुए, अंदर, अणुपालेमो, ते भावे, सहहतेहिं, पत्तियंतेहिं, रोयंतेहिं, फासंतेहिं, पालंतेहिं, अणुपालंतेहिं, "अंतो.
१ मुझे पढाया है, या रचा ( बनाया ) है । २ छप्रकारका आवश्यक ३ पाप योगकात्याग ४ चोवीसों तीर्थंकरोंकी स्तुतिरूप लोगस्स । ५ लगे दोषोंकी निंदाहै जिसमें, पगामसिजाए ६ मूल सूत्र तथा अर्थ दोनुंरूप। ७ क्षायिकादि छ भाव. या जीवाजीवादि पदार्थ ८ सामान्यपणे ९ विशेषणेसे कहे ।
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