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________________ १दश अध्ययनवाले। जफफफफफफफफफफफफफफ (निश्चय) दसाओ ['दशा-श्रुत स्कंधकुं] समणधम्म (क्षमादि श्रमण-मुनि-धर्मकुं) च । नवसंपन्नो जुत्तो, रख्खामि महव्यए पंच ।४। आसायणं (आशातनाओंकुं) च सव्वं,तिगुणं तीनगुणि इक्कारसं (इग्यारे-३३) विवज्जतो । (विशेष वरजता हुआ)। नवसंपन्नो जुत्तो,रख्खामि महब्बए पंच।४। एवं(इसतरह तिदंड(तीन दंडसे) विरओ (विरत(रुका हुआ),तिगरण (तीन करणसे) सुरो (शुद्ध हुआ तिसल्ल (तीन शल्य पीडामे निसल्लो निःशल्य-पीडारहित हुआ । तिविहण (त्रिविध करके) पडिकंतो (पडिक्कमा-पीछाहटा हुआ, रख्खामि महव्वए पंच १४३॥ इस प्रकार यह,महावतों का उच्चारण,स्थिरताका हेतुहै, शल्य निकालनेवालाहै, धीरजताका बलदायकहै, व्यवसाय है, शिव साधनका हेतु है, ___ 'इच्चेइयं,महव्वयनच्चारणं, थिरतं, सल्लुद्धरणं, धिइबलयं, ववसाओ, साहणऽठो, पाप निवारनेवालाहै, व्रत स्वीकारका दृढ हेतुहै, भावकुं शोधनेवाला है, पताका(ध्वजा)कुं, लेनेवालाहै. निकालनेवालाहै, आराधना है, गुणोंकी. पावनिवारणं, निकायणा, भावविसोही. पडागा, हरणं,निज्जुहणा,ऽऽराहणा. गुणाणं. * संवरका,योग (संबंध) है,पशस्त(शुभ),ध्यानकी उपयुक्तता है, युक्तताहै. और, ज्ञानसे,सत्य पदार्थ है, उत्तम पदार्थ है, यह, निश्चय, १८९॥ # संवर, जोगो, पसत्थ, ज्झाणोवनत्तया. 'जुत्तया, 'य, नाणे. “परमऽठो. उत्तमऽठो, एस. खलु, x अनाशातनाकु । २ दुष्कर कामके परिणामवाला। ३ चारित्र आराधनारूप । ४ कर्मशत्रुको । ५ चारित्रके । ६ आतेहुए नवीन कर्मोकी रुकावट । ७ सहितपणा । ८ बनावटी नहीं। फ卐प Simidermational For Personal Private Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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