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________________ नहीं। ओघो मुहपत्ती चोलपट्टो संघट्टियो।स्त्री तिर्यंच तणा संघट्टा अनंतर परंपर हुआ। वडा प्रते की पसाओकरीलघु प्रतेइच्छकार इत्यादिक विनय साचव्यो नहीं,साधुसमाचारी विषइओअनेरोजे कोइ०८ वय' समणधम्म संजम, वेयावच्चं च बंभगुत्तीओ।नाणाइतिय तव कोह', निग्गहा इइ ई चरणमेयं ।। पिंडविसोही समिई ,भावण' पडिमाय इंदिय निरोहो। पडिलेहण' 'गुत्तीओपी , अभिग्गहा चेव करणं तु ।श एवंकारे साघुतणे धर्मे एकविध असंयम तेत्रीश आशातना प्रमाद के पद पर्यंत मूलगुण उत्तरगुणके " एकसो चालीस अतिचार ('श्रावक तणे धर्मे समकित मूल वारे व्रतके एकसो चोवीस अतिचार)मांहिं जे कोइ अतिचार पक्ष दिवसमांहिं०।९। 55555555555555555 1 महाबत पांच । २ श्रमण धर्म-क्षमादि दश प्रकारका। ३ संयम सतरे प्रकारका। ४ वेयावा (सेवा भक्ति) आचार्यादि दशकी। ५ ब्रह्मचर्यकी नवबाड । ६ जानादिक प त्रिक-ज्ञान दर्शन चारित्र । ७ बारे प्रकारका तप । ८ क्रोध-मान माया-लोभका निग्रह करना (हटाना) यह चरण सित्तरी है । ९ पिंड विशोधि (आदरादिकी शुद्धि)। 卐१० समिति पांच । ११ भावना अनित्यादि बारे । १२ बारे प्रतिमा। १३ पांचों इंद्रियोंका निरोध-अपने अपने विषयोंसे रोकना। १४ पडिलेहणा पशिस-शोर तथा वस्खादिकी । १५ गुप्तियां तीन । १६ अभिग्रह-द्रव्य क्षेत्र काल भावसे । यहही करण सित्तरी है। १७ 'चरण सित्तरी-करण सित्तरीके' ऐसा भी कितनेक बोलते हैं। 14 श्रावक साथमें होवे तो यह बाकीट ()मेंका पाठ बोलना, अन्यथा नहीं। ॥१३२॥ Jain Education international For Personal & Private Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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