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सोनोके तुल्य, चलनेवाली । पुष्ट, श्रोणि', स्तनोंसे, शोभनेवाली। अखंड, कमलके,पत्रजैसे,लोचनवाली (तथा) ॥२६॥ से हंसवहु,गामिणिआहिं॥पीण,सोणि. थण,सालिणिआहिं॥सकल,कमल, दल, लोअणिआहिं॥२६॥ में दीपक छंद । पुष्ट(और),अंतररहित,स्तनोंके,भारसे, विशेष नमेहुए,शरीररूप,लता वाली । मणिरत्न,सोनेकी,अतिशिथिल(हीली), मेखलाकंदोरेसे,
दीवयं। 'पीण, निरंतर, थण, भर,विणमिअ, गाय, लयाहिं। मणि,कंचण, पसिढिल, मेहल, में शोभित, श्रोणितट वाली। उत्तम, धुबरीवाले, झांझर, मुंदरतिलक, कडोंके,विभूषण(दगिने)वाली। प्रीतिकारक,चतुरोंके,मनकोहरे(वैसे), F सोहिअसोणितडाहिं॥वर,खिंखिणि, नेनर,सतिलय,वलय, विभूसणिआहि। रइकर, चनर, मणोहर,
सुंदर,देखने योग्य(रूपाली)।२७) चित्राक्षरा छंद । देवांगना(देवी)ओंने, किरणोंके,समुदायवाली, वांदे, फेर, जिनके,वे(प्रसिद्ध), में सुंदर,दंसणिआहिं॥२णाचित्तऽरुखरा। देवसुंदरीहिं, 'पाय, वंदिआहिं, वंदिआ,य, जस्स, ते, सुंदरगतिवाले,चरण। अपने, ललाट(निलाड)से,आभूषणोंकी, रचनाके,प्रकारों(भेदों)मे, कैसे कैसे भी। अपांग", तिलक,पत्रलेखा, सुविक्कमा,कमा। अप्पणो,निडालएहि, मंडणो,ड्डण,प्पगारएहिं, केहि केहि वि॥'अवंग,तिलय,पत्तलेह,
नामके, देदीप्यमान, संगत(युक्त),अंग(देह)वाली । भक्तिसे,सन्निविष्ट(युक्त)होके,चांदनेको,आइहुई(ऐसी), होतेहैं, वे, वंदित, नामएहिं, चिल्लएहिं, संगयं, ऽगयाहिं। भत्ति, सन्निविठ्ठ, वंदणा, ऽऽगयाहिं, हुंति, 'ते, वंदिआ, कपीछेसे कमरके नीचेका भाग । २वेलड़ी। क्या पराक्रम । ४पहरनेमें या बनावटमें अनेक प्रकारकी। ५ नेत्रांत, अर्थात् नेत्रमें आंजा हुआ काजल । ६भगवन्के दोनुं चरण ।
步步五五五五五五五五五五五五方对 5555555
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