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नवीन,शरदऋतुके,चंद्रतुल्य,संपूर्ण, मुखवाले, बीताहै, अंधेराजिनका,दुरकियाहै,कर्मरजजिन्होंने । हे अजितजिन !, श्रेष्ठ, तेजरूप गुणोंसे, # नव,सारय, ससि,सकला,ऽऽणण,विगय, तमा, विहुअ, रया ॥ “अजि!, नत्तम. तेअगुणेहिं, के मोटे मुनियोंसे, अमेय,बलवाले,विपुल(मोटे),कुलवाले । प्रणाम करताहूं,तुमकुं,संसार भयको,तोडनेवाले,जगत्के,शरणभूत,(आप)मेरे,शरण हैं
महामुणि,अमिय, बला, विनल, कुला। पणमामि, ते, भवभय, मूरण, जग, सरणा, मम,सरणं १३। चित्र लेखा छंद । देव, दानवोंकेइंद्र, चंद्र,मूर्यके,वंदनीय,हृष्ट(हर्षित),तुष्ट(संतोषित),प्रशनीय,अत्यंत । मुंदर,रूपवाले,तपाये, रूपेके, ॥१३॥ चित्तलेहा। देव.दाणविंद,चंद,सूर, वंद, हठ्ठ, तु, जिठ्ठ,परम। लठ्ठ, रूव, धंत, रुप्प, पाटतुल्य,सफेद,निर्मल,चिकणे, धोले । दांतोंकी, पंक्तिवाले,हेशांतिनाथ ,शक्ति, कीर्ती मुक्ति(निर्लोभता),युक्ति,३गुप्तिसे,अतिउत्तम । दीप्तिमंत, पट्ट, सेय, सुद्ध निद,धवल॥ दंत, पंति, 'संति!, सत्ति,कित्ति, मुत्ति, जुत्ति, गुत्ति, पवर । दित्त तेजके,दवाले,ध्यानेयोग्य,सब, लोकमें, फेलेहुए, प्रभाववाले,नाननेयोग्य,अत्यंतदो,मेरेको, समाधि ।१४॥ नाराचक छंद। निर्मल, तेअ, वंद, अ, सव्व,लोअ,भाविअ,प्पभाव, णेअ, "पइस, मे,समाहिं ॥१४॥नारायओ। विमल, चंद्रमाकी,कलासे,अधिक,सौम्य(शीतल)। अंधेरेरहित,मर्यकी,किरणसे, अधिक,तेजवंत। त्रिदश(देव)पति(इंद्रों)के,समुदायसे, अधिक,रूपवंत।
ला,ऽइरेअ. सोमं । वितिमिर.सर, करा, ऽइरेअते॥ तिअसवइ, गणा, इरेअरूवं। १ अज्ञानरूप । २ महाजाना मुनिनी जिनका मापा न कर सके धैने। ३ वैमानिकादि ४ भवनपत्यादि ।
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