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अरिहंत, . भगवंतोंक, ,
तबतक, कायाकुं १, स्थिराज, मे,काउस्सग्गो."
आगारोंसे, अभंग, अविराधित, . होवो, मेरा, काउस्सग्ग, . जबतक, अरिहंत, भगवंतोंकुं, नमस्कार करके, नहीं
आगारोहिं, अभग्गों,अविराहिओ,हुज्ज, मे,काउस्सग्गो, जाव,अरिहंताणं,भगवंताणं, नमुक्कारेणं, न, कपालं, तबतक, कायाकुं १, स्थिर करके, मौन रहके, ध्यान धरके, अपनी, बोसिराताहूं। पारेमि, ताव, कायं, 'ठाणेणं, मोणेणं, झाणेणं,अप्पाणं, वोसिरामि।
लोककुं, प्रकाशित करनेवाले । धर्मतीर्थके करनेवाले,राग-द्वेष जीतनेवाले । अरिहंतोंका,कीर्तन करूंगा।चोवीसों भी, केवल ज्ञानी ।। लोगस्स लोगस्त, उज्जोअगरे। धम्मतित्थयरे, जिणे॥ अरिहंते, कित्तइस्सं। चउवीसंपि, केवली॥२॥
ऋषभदेवकुं, अजितनाथकुं, और, वांदताहूं। संभव नाथकुं, अभिनंदनकुं, फेर,सुमतिनाथकुं,और । पद्मप्रभुकुं, मुपार्थ। जिनकं, और,
उसभ, मजियं, 'च, 'वंदे। संभव,मभिणंदणं, च, 'सुमई, च॥'पउमप्पहं,सुपासं। जिणं, च, चंद्रप्रभुकुं,वाढताहूं। २ । सुविधिनाथक,या. पुष्पदंतकुं २, शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्यकुं, और। विमलनाथकुं, अनंतनाथकुं,फेर,जिनेश्वर, चंदप्पहं, वंदे ॥२॥'सुविहि, च,पुप्फदंतं। सीयल, सिज्जंस, वासुपुज्ज,च । विमल, मऽणंतं, च, जिणं, धर्मनाथकुं.शांतिनाथकुं, और,बांदताहूं। ३ । कुंथुनाथकुं, अरनाथकुं,फेर,मल्लिनाथकुं। वांदताहूं ,मुनि मुत्रतस्वामीकुं,नमिनाथ जिनकं,और । वांदताहूं, धम्म, 'संति, 'च, वंदामि॥३॥'कुंथु, अरं, च, मल्लिं। वंदे, मुणिसुव्वयं, नमि जिणं, च॥ वंदामि, , अशुभ क्रियाओं ये । २ सुविधिनायक ही दूसरा नाम है।
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॥२॥
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