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________________ तस्स उत्तरि ७ अन्नत्थ ऊससि एर्ण ८ 595955 पांच इंद्रियांवाले, लातों आदि सेमारे हो, धूलादिसे ढांकेहो, घसेहो १, भेले करे हो, संघट्टा किया (अडा) हो, परितापित किये हो २, खेदित किये ( थकाये) हो, पंदिया, अभिया, बत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया परियाविया, किलामिया, हैरान किपेडो, एक स्थान से, दूसरे स्थान में रखेहो, जीवितसे, छुडाये (मारे ) हो, उसका, मिथ्या (निष्फल ) हो, मेरे, दुष्कृत ( प प ) | उदविया, ठाणाओ, ठाणं, संकामिया, जीवियाओ, ववरोविया, तस्स, "मिच्छा, "मि, दुक्कडं । उसकी, शुद्धि करनेके लिये, प्रायश्चित (आलोयणा) करनेके लिये, विशेष शुद्धि करनेके लिये, शल्यरहित करने के लिये, पाप (अशुभ), कमकुं, तस्स, उत्तरिकरणेणं, पायच्छित्तकरणेणं, विसोहीकरणेणं, विसल्लीकरणेणं, पावाणं, कम्माणं, नाश करनेके लिये, करता हूं, काउस्सग्ग । निग्घायणऽठ्ठाए, ठामि काउस्सगं । अन्यत्र, ऊंचे श्वाससे, नीचे श्वाससे, खांसीसे, छींकसे, बगासीसे, डकारसे, वायुसरणेसे, भमल (चक्कर) से, पीतकी, 'अन्नत्थ, 'ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए, पित्त, मूर्छासे, सूक्ष्म (थोडा), अंगके, चलनेसे, सूक्ष्म (थोडा), श्लेष्मके, चलनेसे, सूक्ष्म दृष्टि (आंख) के चलने से. मुच्छाए, सुहुमेहिं, अंग, संचालेहिं, सुहुमेहिं, खेल, संचालेहिं, सुहुमेहिं, दिट्ठि, संचालेहिं, एवमाइएहिं, इत्यादि, १ आपसमें या भूमि उपर । २ तकलीफ दी हो । ३ बेहोशी ( बाटा बूट ) होना । ४ हाथ -पग आदि । ५ बलखा-कफ । Jain Educatinational For Personal & Private Use Only ॥४॥ www.jainelibrary.org
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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