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________________ सान्वय भाषान्तर ।। ९०॥ सनत्कुमार डपो दीपता हता. ॥ ९७ ॥ चरित्रं मुक्तास्वस्तिकरोचिष्णुकस्तूरीमण्डलच्छलात् ईयुस्तत्र सनक्षत्राः स्मरमित्राणि रात्रयः ॥ ९८॥ ___ अन्वयः-तत्र मुक्ता स्वस्तिक रोचिष्णु कस्तूरी मंडल च्छलात् स्मर मित्राणि रात्रयः सनक्षत्राः ईयुः ॥ ९८ ॥ ॥९०॥ अर्थः-(वळी) त्यो मोतीओना साथीआओथी शोभता कस्तूरीना मंडलोना मिषथी, कामदेवना मित्र सरखी रात्रीओ नक्षत्रो सहित आवी हती. ॥ ९८॥ मडल्यकलशास्तत्र विश्वानन्दाब्धिनन्दिनः अभजशशभृल्लीला नीलाम्भोजभृतः सिताः॥ ९९॥ ___ अन्वयः-तत्र विश्व आनंद अब्धि नंदिनः, नील अंभोज भृतः, सिताः मंगल्य कलशाः शशभृत् लीला अभजन् ।। ९९ ॥ अर्थः--(वळी) त्यां जगतना आनंदरूपी महासागरनी वृद्धि करनारा, अने श्याम कमलोथी भरेला श्वेत रंगना मंगल कलशो चंद्रोनी शोभाने धारण करता हता. ।। ९९ ।। श्यामशोणसितैः सैष रत्नस्तम्भांशुभिर्वभो । स्फुरत्तमोरजःसत्त्वैश्चित्तैरिव हृतैर्नृणाम् ॥ ३०० ॥ अन्वयः-नृणां हृतैः स्फुरत् तमः रजः सत्यैः चित्तैः इव, स एष: श्याम शोण सितैः रत्न स्तंभ अंशुभिः बभौ. ॥ ३०॥ अर्थः-माणसोनां हरी लीधेला एवां, स्फुरायमान तमोगुण, रजोगुण अने सत्त्वगुणोवाळा हृदयोबडे करीने जाणे होय नही! || तेम ते मंडप श्याम, लाल तथा श्वेत रत्नोना स्तंभोना किरणोवडे शोभतो हतो. ।। ३०० ।। SEARSHASH * Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600021
Book TitleSanatkumar Charitra
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorHiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year
Total Pages228
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript & Story
File Size12 MB
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