SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सनत्कुमार सान्वय चरित्रं भाषान्तर ॥ ७८ ॥ ।। ७८ ॥ इदं निगद्य सद्योऽथ कण्ठं पाशेऽक्षिपच्च सा। बाले मा मेति चासीगीच्छिन्नः पाशः पपात च ॥५९॥ ___ अन्वयः-इदं निगद्य अथ मा सद्यः कंठ पाशे अक्षिपत्, च (हे) बाले ! मा मा, इति गीः आसीत्, च छिन्नः पाशः पपात. अर्थः- एम कहीने पछी तेणीए तुरत (पोतानो) कंठ पासलामा नास्यो, (एवामां ) हे बाले ! “मा मा" एवी वाणी यइ, तथा कपाइ गयेलो पासलो (नीचे) पडी गयो. ॥ ५९ ॥ चम्पिका तु तदा मुक्तनिद्रा तद्रभसाद भृशम् । कर्षन्ती पाशतः कण्ठमालोकत कुमारिकाम् ॥ ६॥ ___ अन्वयः-तदा भृशं तद् रभसात् चंपिका तु मुक्तनिद्रा, पाशतः कंठं करती कुमारिकां आलोकत. ।। ६० ॥ अर्थः-ते समये (थयेला) घणा खळभळाटथी चंपिका तो जागी गइ, अने पासमांथी (पोताना) कंठने खेंची कहाडती राजकुमारीने तेणीए दीठी. ।। ६० ।। ततः किमिदमित्यस्यै पृच्छन्त्यै संभ्रमस्पृशे । आचक्षत चमत्कारि कुभारी चरितं निजम् ॥ ६१॥ ___ अन्वयः-ततः इदं कि? इति पृच्छत्यै संभ्रमस्पृशे अस्यै कुमारी निज चमत्कारि चरितं आचक्षत. ॥ ६१ ॥ अर्थः-पछी आ ? एम पूछती, तथा शंकामां पडेली एवी ते चंपिकाने शृंगारसुंदरीए पोतार्नु आश्चर्यजनक आचरण कही संभळाव्यु. किमेतत्पतितं क्षमायामित्युत्थायाथ चम्पिका । करेणादाय पश्यन्ती दृष्यन्तीदमुवाच सा ॥२॥ CXCCCCRACTIVE Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600021
Book TitleSanatkumar Charitra
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorHiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year
Total Pages228
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy