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________________ सनत्कुमारत सान्वय चरित्रं भाषान्तर ॥४७॥ खमातृपितसोदर्यवयस्याविराहसहा । विवाहं स्पृहये नाहमिति स्माह सखीषु सा॥ ५५॥ युग्मम् ॥ अन्वयः-तत् अनुरूपाय वराय विहत उद्यमे भूपे सांप्रत सर्व भूपानां रूपं चित्रेषु पश्यति, ॥ ५४ ॥ स्व मातृ पितृ सोदर्य वयस्या विरह असहा सा, अहं विवाहं न स्पृहये इति सखीषु स्माह. ॥ ५५ ॥ युग्मं ।। अर्थः-तेणी माटे सरखा रूपवाळा वरनी शोध करता राजा हालमां सर्व राजाओनी छवी चित्रो मारफते जोइ रह्या छे, ॥ ५४॥ ( परंतु ) पोताना माता पिता, भाइ तथा सखोओना विरहने नही सहन करनारी ते कन्याए सखीओ पासे एम जाहेर कयु छे के, हुं विवाह करवानी इच्छा राखती नथी. ॥ ५५ ॥ युग्मं ।। तदाकर्ण्य तदास्येभ्यो निमोंदा मदनावली । आरोप्य तनयामके सशङ्केन हृदाऽवदत् ॥ ५६ ॥ ___ अन्वयः-तत् आस्येभ्यः तत् आकर्ण्य निर्मोदा मदनावली तनयां अंके आरोप्य सशंकेन हृदा अवदत् . ।। ५६ ॥ अर्थः-ते सखीओना मुखथी ते वृत्तांत सांभळीने हर्ष रहित थयेली मदनावलीए पुत्रीने खोळामां बेसाडीने शंकायुक्त हृदयथी का के, ॥ ५६ ॥ विवाहोत्सववैमुख्यं वत्से धत्से कथं वृथा । शोच्या प्रियं विना रामा त्रियामा शशिनं विना ॥ ५७॥ __ अन्वयः-(हे) वत्से : वृथा विवाह उत्सव वैमुख्यं कथं धत्से? शशिनं विना त्रियामा, प्रियं विना रामा शोच्या. ॥ ५७ ॥ अर्थः हे पुत्री ! (तुं ) फोकट विवाहना उत्सवनी शा माटे मना करे छे ? (केमके) चंद्र विना रात्रिनीपेठे भर्तारविना स्त्री | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600021
Book TitleSanatkumar Charitra
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorHiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year
Total Pages228
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript & Story
File Size12 MB
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