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________________ सनत्कुमार । अर्थः-संग्राममा बहादुरी बताव्याबाद (नीचे) पडी गयेला कोइक (घायेल थयेला ) सुभटना रुधिरना बिंदुओने शौर्यलक्ष्मीना || सान्वय चरित्रं मंदिरसरखो सुभटोनो समूह वंदन करतो हतो. ॥९६ ॥ भाषान्तर इत्याजिप्रसरे वाजिदन्तिस्यन्दनपत्तिषु । पतत्सु तुच्छतां गच्छद्दलं स्वं सैहिरक्षत ॥ ९७ ॥ ___ अन्वयः-इति आजि प्रसरे वाजि दंति स्यंदन पत्तिषु पतत्सु बहिः स्वं बलं तुच्छतां गच्छत् ऐक्षत. ॥ ९७ ।। ॥३०॥ अर्थः-एवीरीते संग्रामनो विस्तार थतां घोडा, हाथी, रथो, तथा पाळाओनो संहार थते छते सिंहराजाना पुत्र सनत्कुमारे पोतानुं सन्य नबढुं पडतुं जोयु. ।। ९७।।। अथाहितहतत्रस्तसमस्तध्वजिनीजनः । गन्धसिन्धुरमारुह्य प्रसरच्चापचापलः ॥ ९८ ॥ संरम्भी स्तम्भयन्दूरे शृरकेशरिणश्चमूम् । सनत्कुमारो नाराचधाराचयमचञ्चयत् ॥ ९९ ॥ युग्मम् ॥ ___ अन्वयः -अथ अहित हत त्रस्त समस्त ध्वजिनी जनः, प्रसरत् चाप चापलः, संरंभी सनत्कुमारः गंध सिंधुरं आरुह्य शूरके। शरिणः चमूं दूरे स्तंभयन् नाराच धारा चय अचंचयत् ॥ ९८ ॥ ९९ ॥ युग्मं ।। अर्थः-पछी शत्रुना माराथी कंटाळीने नाशी गयेल छे सैन्यमांथी सर्व सुभटो जेना एवो, तथा विस्तार पामती छे धनुषनी चालाकी जेनी, एवो बहादूर सनत्कुमार गंधहस्तीपर चडीने, ते शरकेशरी राजानी सेनाने दूर थंभावी राखतोछतो बाणोनी श्रे. णिनो समूह फेंकवा लाग्यो. ॥ ९८ ।। ९९ ।। युग्मं । SAHARASHREST Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600021
Book TitleSanatkumar Charitra
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorHiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year
Total Pages228
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript & Story
File Size12 MB
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