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________________ सनत्कुमार सान्वय चरित्रं भाषान्तर ॥१९२।। 8 ॥१९॥ अर्थ:--एवामां आ खबर मळबाथी राजा पोते एकदम उतावळथी पुत्रने शांत करवामाटे (त्यां) बगीचामां आव्यो. ॥ ४५ ॥ पितुः प्रणामव्याजेन लजया नमयशिरः । कुमारः संववार स्वमथ गूढदृढव्यथः ॥ ४६॥ ___ अन्वयः- अथ दृढ गूढ व्यथः कुमारः पितुः प्रणाम व्याजेन लज्जया शिरः नमयन् वं संववार. ॥ ४६॥ अर्थः-पछी हृदयमा अति पीडित थयेलो ते सनत्कुमार पोताना) पिताने नमवाना मिषथी लजावडे मस्तक नमावीने पोताने गोपवत्रा लाग्यो. ॥ ४६॥ कोडे कुमारमारभ्य परिश्लिष्यन्मुर्मुहुः । ययो नरविमानेन नरेन्दुर्मन्दिरं ततः ॥ १७ ॥ अन्वयः-ततः नरेंदुः कुमारं क्रोडे आरभ्य मुहुःमुहुः परिश्लिष्यन् नरविमानेन मंदिरं ययौ. ॥ ४७ ।। अर्थ-पछी ते राजा ते कुमारने खोलामा वेलाडी, वारंवार आलिंगन आपतो थको मीयानामां बेसी घेर गयो. ॥४७॥ धिग्धिग्मे शूरतामस्य प्रिया यन्मेऽग्रतो हृता। एवं हियेव निस्तेजा ययो द्वीपान्तरं रविः ॥४८॥ ___ अन्वयः-मे शुरता धिक् धिक, यत् मे अग्रतः अस्य पिया हृता, एवं हिया, इव निस्तेजाः रविः द्वीपांतरं ययौ ॥ १८ ॥ अर्थ:-मारां शरवीरपणाने धिक्कार छे ! धिक्कार छे ! जेमके मारी समक्ष आ कुमारनी स्त्री - हरण थयुं, एम जागे लजाथी तेजरहित थयेलो सूर्य वीजा द्वीपमा गयो. ॥४८॥ ॐॐॐॐॐॐॐॐ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600021
Book TitleSanatkumar Charitra
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorHiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year
Total Pages228
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript & Story
File Size12 MB
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