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________________ सनत्कुमार सान्वय चरित्रं भाषान्तर ॥१२२॥ ॥१२२। अन्वयः-पूर्व क्रिया अन्वितः गृही भासत्रयं द्विसंध्यं यत्र सामायिक सेवते, सा सामायिक प्रतिमा. ॥ ८॥ अर्थः पूर्वनी क्रिया सहित गृहस्थी त्रणमाससुधी बन्ने संध्याकाळे जेमा सामायिक करे, ते (त्रीजी) “सामायिकपतिमा" कहेवाय. पौषधप्रतिमा यत्र श्राद्धो मासचतुष्टयम् । सक्रियः पौषधं धत्ते चतुष्पव्यां चतुर्विधम् ॥ ९॥ ___ अन्वयः-यत्र श्राद्धः मास चतुष्टयं सक्रियः चतुष्पा चतुर्विध पौषधं धत्ते, पौषध प्रतिमा. ॥९॥ अर्थः-जेनी अंदर श्रावक चार मासमुधी (उपर वर्णवेली) सर्व क्रियाओसहित (अष्टमी आदिक) चारे पर्वोमां चतुर्विध पौषधने धारण करे, तेने (चोथी) "पौषध प्रतिमा" जाणवी. ॥ ९ ॥ श्राद्धः शुद्धाशयस्त्यक्तस्नानः प्राशुकभोजनः । ब्रह्मवानहि रात्री च कृतमानः स्वयोषिति ॥१०॥ पौषधस्थश्चतुष्पा प्रतिमामेकरात्रिकीम् । प्रपन्नः पञ्चभिर्मासैः प्रतिमा पञ्चमी भवेत् ॥११॥ युग्मम्॥ __ अन्वयः-शुद्ध आशयः, त्यक्त स्नानः, पाशुक भोजनः, अहि ब्रह्मवान् , च रात्रौ स्वयोपिति कृतमानः श्राद्धः ॥ १० ॥ चतुष्पवयाँ पौषधस्थः, एक रात्रिकी प्रतिमा प्रपन्ना, पंचभिः मासैः पंचमी प्रतिमा भवेत् ॥ ११ ॥ युग्मं ।। अर्थः-निर्मल अभिप्रायवाळो, स्नानरहित अचित्त भोजन करनारो, दिवसे ब्रह्मचर्य पाळनारो, तथा रात्रिए पोतानी स्त्रीनेविषे प्रमाणसहित (संतोष राखनारो) श्रावक, ॥ १० ॥ चारे पर्वतिथिए पौषधवतमा रहेनारो, एक रात्रिनी प्रतिमा बहेनारो थयो. थको पांच माससुधी तेबी क्रिया करे, अने एरीते पांचमी प्रतिमा थाय छे. ॥११॥ युग्मं ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600021
Book TitleSanatkumar Charitra
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorHiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year
Total Pages228
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript & Story
File Size12 MB
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