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________________ सानत्कुमर सान्वय * चरित्रं भाषान्तर ॥१००॥ ॥१०॥ ** अर्थः-फक्त एक धर्म करवामांज आसक्त थयेलो आ राजा शक्तिवान होवा छतां पण, बीजा राजाओथी भोगवाती पृथ्वीनी पण उपेक्षा करे छे. ॥ ३१॥ अमं गमनलालित्यवरले तरले वृणु । रङ्गदातरङ्गेषु हंसैकसहचारिणी ॥३२॥ ___ अन्वयः-(हे) गमन लालित्य वरले ! तरले ! अमुं वृणु ? रंगद् गंगा तरंगेषु हंस एक सहचारिणी ( भव? ) ॥ ३२ ॥ अर्थः-गतिनी लीलाथी है हंसी सरस्वी चपल राजकुमारी! आ काशीपतिने वर? अने उछळता गंगाना मोजाओमां (क्रीडा करवा माटे) आ हंसराजानी सहचारिणी था ? ।। ३२॥ याति पूज्यस्य कुल्योऽपि पूज्यतुल्यो नमस्यताम् । कुमार्या मन्दमित्युक्तेऽभिस्मृत्याग्रे जगौ जया ॥३३॥ __अन्वयः-पूज्यस्य कुल्यः अपि पूज्यतुल्यः, नमस्यतां याति, इति मंदं कुमार्या उक्त जया अग्रे अमिमृत्य जगौ. ॥ ३३ ।।। अर्थः-पूजनीकना कुलमा उत्पन्न थयेलो मनुष्य पण पूजवा लायक होवाथी नमस्कार करवा योग्य होय छे, एम धीमेथी ते राजकुमारीए कहेवाबाद ते जया आगळ चालीने कहेवा लागी के ॥ ३३ ॥ अयं जयन्त इत्यूर्वीजानिर्विजयते युवा । जेता द्विषामयोध्यानामयोध्यानायको बली ॥ ३४ ॥ अन्वयः-अयं युवा जयंत इति ऊ:जानिः विजय ते, अयोध्यानां द्विषां जेता, बली अयोध्या नायकः ॥ ३४ ।। का अर्थः-आ युवान जयंत नामनो राजा जयवंतो बर्ते छे, ते शूरवीर शत्रुओने जीतनारो बलवान अयोध्यानो राजा छे. ॥३४॥ | ****** Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgi
SR No.600021
Book TitleSanatkumar Charitra
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorHiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year
Total Pages228
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript & Story
File Size12 MB
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