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________________ हमारी विनिवेक स्तिकें. जैनधर्मसिंधु. प्रथम भाग तयारहे. इस्के आठ परिच्छेद है. प्रथम परिच्छेदमे सर्व गच्छके प्रतिक्रमणहे. दूसरेमें चैत्य, चंदने, स्ततिये, नवपदादि तपाक गुणना विधि सविस्तर है. तीसरेमे दिनकृत्य, रात्रिकृत्य, मासकृत्य, वर्षकृत्य, जन् कृत्य, सविस्तरहे. चोथेमें छोटे मोटे पांचसो स्तवनहे. पांचवेमें पंचपर्वी प्रमुख सझाय संग्रहह. छठेमे गौतम स्वामीका बडा रास तथा स्तोत्र संग्रहहे. सातवमै पाक्षाकसूत्र श्रमणसूत्र प्रमुख साधु ऑकी क्रियाविधिहे. आठवेमें श्रावकोंके लग्नविधि प्रमुख सोले जैन संस्कार विधिसहित हे. आठपेनी, एकसो फारम, शास्त्री हर्फ. आठसो पृ, सुंदर कागज, झलकदार जिल्द बांधि है. किमत मात्र पांच रुप्या. निणयसागरमें छपायाहे. पंच प्रतिक्रमण, पाक्षिक सूत्र, श्रमणसूत्र,विधि सहितहे, निर्णयसागरके शास्त्री टाइप, बत्तीसफर्मा, मुंदर पुठा. रुप्याएका चंपक चंद्रावती. प्रथम भाग, गुजराती लीपीमें एक वार्ता हे. किमनमात्र बारआना.. जैनसंस्कार विधि. गृहस्थोंके सोले संस्कार आचार दिनकर शास्त्र उपरसे भाषांतर किया गयाहे. निर्गयसागरके शास्त्री हर्फ, त्रीस फारम. दोसो पृष्ट, किमत बारआना. प्रश्नोत्तर रत्नमाला व मूखे शतक. भाषा टीका सहित, किमत मात्र एक आना. प्राप्तव्य मर्थिक. एक रसीक वाताहे किमल एक आना मूर्तीपूजा मंमन. प्रतिमापूजा मंडनमें हिंदी भाषामें अच्छा खुलासा लिखा गयाहे. किमत एक आना. पहिली यतिकोन्फरन्सका रीपोर्ट. आठ आना मिलनेका पत्ता-मुंबई. पायघोणी श्री शांतिनाथजी मंदिर. यति ज्ञानचंद
SR No.544071
Book TitleJain Vivek Prakash Pustak 11 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchandra Yati
PublisherGyanchandra Yati
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vivek Prakash, & India
File Size6 MB
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