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________________ विवेशी खांडनी भृष्टता. राजा महाराजानां महेलोथी मांडीने छेक गरीबोनी झुपडीयो सुधीमां आ अपवित्र खांडनो आदर थई गयोछे अने देशी खां. उनो निरादर थवाथी ते मळवी पण मुस्केल थई गईछे तेथी घ. गुांज आश्चर्य थायछे हुँ तो जाणुं छु के ए खांड शेमाथी बनेछे अने केवी अपवित्र चीजोथी साफ थायछे तथा ते वापरवार्थी शाशा अवगुण-हानि' थायछे ए लोको नहि जाणता होवाथी तेना सस्तापणा सफेदी अने सफाई तथा चमकदमकथी मोहित थया हशे. पण तेनी अपवित्रता, भ्रष्टता अने दोषो जाण्य पछी ते गमे तेटली सस्ती चमकीली अने सफाइदार होवा छतांपण भारतवासी भाइओ ते अपवित्र मोरस खांडने अडकशे पण नहि हरगिज नहिं वापरे अने सर्वदा सर्वत्र ए अशुद्ध रोगोत्पादक खांडनो त्यागकरशेपोताना अज्ञान देशबांधवोने चेतवणी आपशे. __ 'बंगलक्ष्मी ' पत्रिकामां लखे छे केः-विदेशी खांड बने छे तेमां जानवरोनुं लोही मेळवी मेल कापे छे. अहीं दुध थी साफ करे छे पण विलायतमां दुध मोडूं मळे छे पण कसाइ खानामांथी लोही सस्तुं मळे छे. हाडकांना कोयलाना भुका थी फील्टर करी मेंल काढी नांखीने खूब सफेद खांड बनावे छे. अने ते शेलडीनी नहि पण बीटे गाजर बटाटा वगेरे मांथी बने छे. विलायतनां पेपरो उपरथी जणाय छे के:-त्यांनी . वेजीटेरियन सोसाइटीओना मेंबरों-वनस्पति आहारीओ आ भ्रष्टखांड खाता नथी. ज्यारे हिंदी खांड सर्व देशोमा खावामां आवती हती, त्यारे रोग घणा थोडा थता हता. खांड साफ करनारा उनुं पाणी अने थोडं गाय, लोही भेळवीने नीचे आंच दे छे. इटावाना माजी हेडमास्तर मि. हेरिसन साहेब कहेता हता के:-विलायतमां सउथी उमदा खांड बने छे ते सूअरना लोहीथी साफ थाय छे. चेतो! चेतो !! धर्मर्नु रक्षणकरो. ल. भावदया प्रचारक. मुंबई.
SR No.544071
Book TitleJain Vivek Prakash Pustak 11 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchandra Yati
PublisherGyanchandra Yati
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vivek Prakash, & India
File Size6 MB
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