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जैन विवेक प्रकाश . मोहित थंड परिणामे हानि करनारा विदेशी पदार्थोना प्रचारथी बचे. . ... 'अमृतबजार पत्रिका' कलकत्ता, ता ३०-५-०५ मां लखे छे केः-आपणे विचार जोइये के भारतवर्ष कारीगरीमां केवो उतरी पड्यो छे ? एक वखत एवी पण सुदशामा हतो के व्यापारनी केटलीक वस्तुओ वेचनार ते एकलोज इजारदार हतो. अने ते द्वारा अगणित संपत्ति आ देशमा आवती हती. परंतु दुर्दैवे एक पछी एक आपणे ते सघळू खोइ बेठा छीए. * * * दुनियाना सर्व देशोने हिंदुस्थान खांड पुरी पाड तो हतो, हाल तेथी विपरीत यइ रह्यं छे. खरु जोतां 'शुगर' शब्द संस्कृत ' शर्करा' शब्दथी नीकळे लो छे. परंतु हाल 'वीटरुटे ' ते शर्करा नाम मिथ्या कयें छे अर्थात् बीटरूटनी विदेशी खांड सस्ती अने सुंदर आववाथी देशी खांड-शर्करानो उद्योग पडी भाग तो जाय छे. पण बीटरूटनी-खांड अपवित्र अने भ्रष्ट होवाथी रोगोत्पादक अने नुकशान कारक होवाना सबबे खावा लायक नथी.
'एन्सायकलोपमिया ब्रिटानिका' ना ६२७ मे पाने लख्युं छे केः-१४० अगर १६८ मण खांड लोढानी एक मोटी डेगमां नांखी गाळे छे, खांड गाळवा माटे डेगमां एक यंत्र लगाडेलु होय छे, जेवी निरंतर उनुं पाणी डेगमा . पडे छे. ए रस नियमित हद सुधी उकाळवामां आवे छे बहु मेली खांड तयार थइ जाय छ त्यारे ते .खांड लोहीथी साफ थाय छे. उनो रस सुतर अने कंतानना जाळीदार थेलामा नांखी गाळी ले छे अने.वचमां पचमां ए थेलीओ साफ करवामां आवे छे. पछी ए रगड रस जनावरोनां हाडकांनी राखनी ३० थी ४० फुटनी उंडाइए छणाइने नीचे राखेला वासणमां आवे छे ए रीते छणवाथी खांडनो रंग । बहुज साफ अने सफेद थइ जाय छे.