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________________ विदेशी खांडनी मृष्टता. कमअक्कल नादानोए हवे नादानी - कुबुद्धि छोडीदइ हवे ठेकाणे आव जोइयेछे. अर्थात् तन मन धन अने धर्मनो नाश करनारी- सर्वनाशी विदेशी खांड छोडीदइ शुद्ध अने गुणकारी स्व देशी खांड वापरवी जोइये छे. 'पैसा अखबार' लाहोर ता. १८-७-०४ मां लखे छे के: - देशी खांड थी बनेली मीठाइ करतां विलायती खांडनी मीठाई बहु सफेद देखाय छे. तेमां खराबीनी बात तो एछे के आजकाल स्त्रीओ पण आ खराब चीज ( अपवित्र मोरस खांड ) पसंद करवा लागी छे. आ खांड वधारे वपराय छे तेनुं मुख्य कारण ए छे के ए खांडनी चांसणी बनाaarni वधारे मेहनत नथी पडती अने सहजमां काम थइ जाय छे. खांड जे शर्करा कहेवाय छे अने विलायतनी घणी खरी भाषामां खांडनां नाम शर्करा शब्दने मळतांछे. जेमके लाटिनमां सचरम, फ्रेंचमां सुकरे, जर्मनमां शुकर, अंग्रेजीमां शुगर, डचमां स्विकर, स्वीडनमां सोकरे, रशियनमां सचर, इटालीमा सुक्रो, स्पेनमां सजुकर, पोर्तुगलमां असुकर, अरवीमां शुकिर अने फारसीमां शक्कर कहे छे. माटे विलायती 'खांडना रसास्वादनी तरफ दुर्लक्ष रखाय छे ए ठीक नथी तुं. ए खांड बेलज्जत अने कंइक अंशे झेरीली पण होय छे. एक बंगाली पत्रे केटलाक वखत उपर लख्युं छे के:- ए झरी खांड विलायत थी हिंदमां आववा लागी छे अने घरोमां ते वपरावा लागी छे. तेने ' टिन कलोराइम' रसायनथी रंग आपवामां आवे छे तेथी करी तेनी असलियत पीछानी जाती नथी. हरेक समज माणसनी फरज छे के ते अज्ञान पुरुषों तथा स्त्रीओने समजावे के बाहारनी सुंदरता उपर ..
SR No.544071
Book TitleJain Vivek Prakash Pustak 11 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchandra Yati
PublisherGyanchandra Yati
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vivek Prakash, & India
File Size6 MB
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