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________________ दिगंबर जैन । *** ********** फलटण-(सत १)के महारामाने अपने तावेके * जैन समाचारवलि। ८४ गांवों में दशहरा पर होता हुआ पशुवध बंद किया है। .. * काशीपुर-में बार सुंदरी देवी की बलि मी उदयपुर में अतिशय-५० भंवरलाल बंद हो गई है। नैन विशारद उदयपुरसे प्रकट करते हैं कि कुंथलगिरि-ज० भाश्रमको सेठ कस्तुर. यहांके जैन अप्रवाल मंदिरके ध्वमादंडसे ता. चंदजी परंडावालोंने १००१)का दान किया है। १६-९-२३ से दश दिनं (दशलाक्षणीके) श्री अंतरीक्ष पार्श्वनाथ-का केस नो तक चंदन मिश्रित जलकी बूंदे निकलती रहीं थीं। १५ वर्षेसे चल रहा था उसकी अपीलका चुकादा इसकी खोज उदयपुर सरकारसे भी हुई थी। नागपुरकी हाईकोर्टसे ता. १ अक्टूबरको हुवा हमारे अनुमानसे यह देवकृत अतिशय है। है कि मंदिर का इंतजाम श्वेतांरी करें तथा वे क्योंकि उसमें ऐसा कोई कारण नहीं मालुम मुर्तिके उपर लेप कछोटा कारमोटा लंगोटा आदि पडता नितसे संभव हो कि वर्षाऋतुका व बना सकेंगे। दिगम्बरी क्षु हटाकर पृनन कर दुसरा पानी हो। सकेंगे। अपनी ओरसे इसकी अपील प्रिवी. जैन वीर-नामक पाक्षिक पत्र भरत दि. कौं सेलमें होनेवाली है। जैन परिषदकी ओरसे बिननौरसे ब्र. शीतल. देश सेवकका स्वागत-बिजनोरमें ला. प्रसादनी व बवू कामताप्रसादमी द्वारा संपादित नेमिशरण नी जैर की देश-सेवामें भाग लेनेहोकर प्राट करने की तैयारी हो रही है । बहुत पर एक दर्षकी रूत कैमें जेल गये थे। वे. करके कार्तिक मुदीसे प्रकट होगा। छूट आने २२ ता. १७ सितम्बरको आपका धगाल आसाम-प्रा० खंडेलवाल मा। बिजनो में अपूर्व स्वागत हुआ व बारको ८: वार्षिक सव कार्तिक सुदी १५ को होगा। मानपत्र दिये गये थे . जि में एक मानपत्र कचनेरजी-में कार्तिक सुदी १५ को जैनों का भी था। आपकी देशसेवा अपूर्व है। वार्षिक मेला होगा। आपका चित्र हमने मंगाया है जो आगामी खास विना मूल्य-जहां-२ शास्त्र भंडारों में अंमें परिचय सहित प्रकट होगा। इष्टोपदेश टीका ग्रन्थ निसकी सरल दोहद-में सेठ माणिकचंद जुबिलीनाग दृष्ट बचनिका पूज्य ब. सीतापादनीने लखन उमें फंडके उपदेशक ब्र. दिग्विजयसिंहजीके पधारचातुर्मासमें ठहर र अतीव परिश्रपसे बनाई है, नेसे शास्त्र व आप सभ द्वरा जैन धर्मकी बड़ी न पहोंचा हो वे डाक व्यय =)॥भेलकर शीघ्र- प्रमावना हुई व ब्रह्मवारीजी को दोहद समाजको ही हमसे मुफ्त मगाले। 'ओरसे 'वक्ताकलाप्नुवानिधि का पद दिया ला. बरातीलाल जैन, पहियागंन, लखनऊ। गया है।
SR No.543190
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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