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________________ 3-14 दिगंबर जैन। सर सेठजीकी वर्षगांठका उत्सव- राणगिर-पर हरसिद्धि पर दशहरा के दिन दा० रा० २० सर सेठ हुकमचंद की ५० वीं सेंकडों पशुओं का वध किया जाता था जो हमेशाके वर्षगांठका उत्सव इन्दौर राज्यके प्रधानके सभा. लिये बंद होगया।------------- पतित्वमें जबरी चागमें आश्विर सुदी३को समारोहसे भीड-में कन्याशालाकी स्थापना होगई । हुआ था। समा मंडरकी शोभा अपूर्व थो। डदेपुर-में दिगम्बर जैन धर्मशालाकी इसलिये पूजन, तीन भाषाओं में संचाद, व्याख्यान आदि जरूरत है कि वे शरियानीकी यात्रा जानेवार्कोको होकर सेठ नी का भी व्याख्यान हुआ व विद्या- वहां श्वांबरी व अन्य धर्मशालाओंमें ठहरना र्थियों को ३४९) का परितोषिक बांटा गया। पडता है जहां बहुत कष्ट व अपमान सहन में व्यायामके खेल व औद्योगिक प्रद. - करना पडता है। हर्षे है कि अग्रवाल दि० मैन र्शनी मी हुई थी। साथमें कंचनबाई श्राविका. मंदिरके पीछे हमारी बहुत सी जमीन है उसपर श्रमका उत्सव भी सौ० रत्नप्रमादेवीके सभापति धर्मशाला बनवाने का निश्चय हुआ है। एक २ स्वमें हुआ था जिसमें मो स्त्रियों के अनेक पा. कमरा तयार करानम करीन ५००) खचं होगा। ख्यान हुए थे। व इनाम बांटा गया था। यदि दानी महाशय एक २. कमरा बनवावें तो सहनमें दशवीत कमरे हो जायेंगे। कमरेपर दानीका शामको सब दि० जैनियों को प्रीतिमोजन दिया गया था। . - नाम अंकित किया जायगा। कमरेकी स्वीका ... विहार उडीसा-प्रा. दि. नैन खंडेल. रता मेननेका पता इस प्रकार है। पं. स्तनकुमार, वाल सभाका उत्सव ह नारीवागमें कार्तिक सुदी मैने नर अमाल दि० जैन मंदिर, धानमंडी उदयपुर ( मेवाड) ७-८ को सेठ तासु वकालनी पांडयाके समा. पानीपतमें-आश्विन मुदी ८ को ११पतित्व में होगा। महाशयों को यज्ञोपवीत संस्कार कराने का उत्सव उदयपुर-में पवनाथ विद्यालयका वार्षिको. ५ घंटे तक विधि सहित धूपघामसे हुभा था। सव पौष सुदी १२-१३-१३ को होगा। सब विधि पं. फुजारीलाल व पं० भेषमचंद सिद्धवरकूट-में भी क र्तिक सुदी ८ से शस्त्रीने कराई थी। व रा० ब० ला० लक्ष्मीचंम० वदी १ तक मेछा होगा। दजी मी इस कार्य में सामिल हुए थे। यज्ञोपवीत पानीपत-दशलाक्षणी पर्वमें पूज्य ब्र० लेनेवालों में एक भाई नेज्युएट भी हैं। सीतलप्रसादनीके उपदेशसे १३६०) का दानका मनि हए-शांतिसागर जी महारान जो, चंदा हा था जो १५ संस्थाओं को भेना गया है। ब्रह्मचारी से क्षत्लक हुए थे अब भदौं सुदी १४ दहीगांव-अतिशयक्षेत्र जो नातेपुते(सोहा- से निर्ग्रन्य मुनि होगये हैं। पुर)के पास है वहां वार्षिक रथयात्रा का मेला कटनी-जैन पाठशालाकी बोर्डिगके लिये मगति वदी ५-७ को होगा। कई विद्वान व १५ छात्रों की आवश्यकता है। कमसे कम हिंदी भनन मंडली पधारेंगी। चोथी कक्षा पास विद्यार्थी लिये जायगे।
SR No.543190
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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