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दिगंबर जैन । ध्यान, वा, अध्ययन, संयम, दान और पूजा बदल तेओने भंडारी नीए जे उपज थाय तेमाथी करनेसे भी प्राप्त नहीं होता अतएव क्षमाको अमुक टका आपवन नक्की कयु हतु. भट्टारकग्रहण करना जीव मात्रका कर्तव्य है। मनु- जीने विहारमा लगमा मातेक वर्ष बीती गया, ध्यका भूषण क्षमा ही है। क्षमावान् मयंकी अने ते अरसामां एक बीनो बनाव बन्यो. जे कीर्ति संपूर्ण पृथ्वीमंडल में विस्तृत होजाती गाम (धुळे)मां आ तीर्थ छे, ते गाम उदेपुर है। क्षमाधारी मनुष्पको प्रत्येक जीव प्रेमकी राज्यना हाथ नीचेना एक राज्यना ताबामा हतुं,ते दृष्टिसे अवलोकन करते हैं । अतएव रानाने पोतार्नु अमुक कार्य थाय एवी घणी सज्जनों ! इस क्रोध रूपी उग्र वैरीको अपने उत्कंठा हती, अने आ मूर्ति उपर घणी आस्था हृदयपटलसे हटाकर समस्त धर्मों में श्रेष्ठ मोक्ष. हती, तेथी तेणे एवो निश्चय कर्यो के जो ते मार्गमें प्रवृत्त करानेवाली क्षमाको चिन्तामणी कार्य पोते इच्छा राखे छे ते प्रमाणे फळोभृत रल समझ कर ग्रहण करने में संकोच मत करो। थाय तो आ दहेरासरजीने ते गाम के जे हदमा
भा तीर्थ आव्युं छे, अने तेनी भासपासनी हद श्री केसरीयाजी तीर्थनी
के जे स्पेनी आवक हन रोनी हती, ते भेट
करवी. देव प्रापथी ते कार्य फलीभूत थयुं, आगाही.
अने पोताना. निश्च । प्रमाणे ते गाम तया ते (लेखक-नवनीतलाल चुनीलाल जरीवाला-मुंबई.) तालुहानी सघळी उपन तथा हको श्री मंदिर
घणा टुं क समय ऊपर श्री केशरीयानी तीर्थनी जीने भेट कर्या. आथो मंडारी नीना हाथमां यात्रा करवानो हख गरने लाम मळ्यो हतो, सबळ राजद्वारी (त्ता आवी. आ सत्तार तेमने अने त्यांना केटलाक दृश्यो तेमन स्थिति जोतां मदांध कीधा, अने भट्ट र कजीनी सत्ता तद्दन मा टुं लखाण दिगम्बर जैन बन्धुभोनी जाण उथवावी काढानां तेणे पग लीवां. ए अर. माटे लखवानी फरज लागी. श्री केशरीयानीनु सामा भट्टारकनी पाछा पार्या, मंडारीनी पासे तीर्थ दीगंबर जैन कोमनो मोटो भाग जाणतुं सघळो हीताव माग्यो. भंडारी नीए पातो खुलासो हशे के ए तीर्थ पोतानी उत्पत्तिथी दिगम्बर आप्यो नहि. ए चर्चा लगग वे वर चाली,
आम्नायर्नु हतुं, अने ते स्थिति लांबा समय कोई पण निश्च । थयो नहिं भने ए समय श्री सुधी चालु रही.
मट्ट र कनीए काळ कर्यो. त्या र बाद भंडारीनीनी - आ दहेरासरनो वहीवट पूज्य भट्टारकनीना सत्तामां कोई दखन माखन रं रघु नहि, एटले हाथमां हतो, तओए एक समये त्यांयी दीवसे दिवसे वधु जुत्त्मी थवा जाग्या.आपणा दि. विहार को अने ते वखते श्री मंदिरजीनो माइओ ते जिल्लामा घणी साधारण हालतमांछे. सघळो कारभार पोताना मंडारीजी के जेभो एक भने भा प्रमाणे होवाथी तेमांना केटलाको आ ब्राह्मण हता तेओने सोंप्यो हतो. या देखरेख मंडारीजीना राज्य बंधारण नोकरी हता,