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________________ ANO दिगंबर जैन । तेमांनो मोटो भाग खेतीवाडीने लगता राज्यना गर्नु, बीजुं मंडारी जीन अने त्रीजु जैनोनु भने काममां रोकाया हता. त्यार बाद एक वरसे एक सांकल त्यांना रक्षक मीलोन. आ भंडार अत्यार मंडारीजीए एवो हुकम महार पाड्यो के पर्युषण सुधी आन स्थितिमा छे. अने १९४० लगमग पर्वमां पण ते लोकोए बलद विगेरे लइ जा च लु उदेपुरना दीवान साहे। आ मंडारनी तपास लेवा दीवसो माफक काम करवू. लोकोए आ नहिं आव्या हता, पण श्रीजीनो हुकम नहिं होवाथी करवा म.टे अरज करी अने वयं के पर्युषण पर्व जो के तेमने मंडारना बारणां खोलान्यां, पण जेवा धार्मिक दिवसोमां अमो ते काम नहिं अंदर नई शक्या नहि. राज्ये थोडा वखत बाद कर शु. बीजी दरेक बावतमा तमारो हुकम मा- एक कमीटी नीमी जे आ मंदीरजीनी व्यवस्था नीये छीये, अने मानीशं, पण आ बाबतमां तो चलावा लागी. आ व्यवस्था दरम्यान दरेक धार्मिक बाध होदायी हुकम नहिं पाळ शु. वरसे मंदिरमां कोई अने काई फेरफार थतां रह्यो, भंडारीजीए ज्वानमा जणाव्यु के जो तेपनो हुकम जेवा जेवा मुनीमजी आव्या, तेवा तेवा फेरफार नहिं पाळवामां आवे तो जोरजुल्मथी पळवामां थतां रह्यां. वैष्णवो आव्या तेणे वैष्णवोनी शास्त्र आवशे. भा उपरथी त्यांना लोकोए संप करी वाचवानी मंदिरजीनी वचमां बेठक तैयार करावी. गाम छोडयु, अने पासे आवेला Political अने त्यां श्रीमद् भागवत दररोन दश वाग्या पछी Agent पासे फरीयाद कई गया. पोलिटिकल वंचाववानुं च लुं यु. मट्टारकनीनी गादी धीमे एनंटे भंडारीजीने संदेशो कहेवडाव्यो के रैयतने धीमे एक एक चीन ओछी रता कढी नांखी, राजी राखीने राज थई शकशे. रैयतना कार अने अत्यारे आपणु शास्त्र वांचवाने जग्या क्यां जुल्म वर्तावी राज्य नहीं कराय, पण सत्ताना राखवी ते सवाल यई पडयो. श्वेतांबरी मुनीओ बळयी भंडारी नीए ते संदेशानी काई पण दरकार भाव्या, तेमणे भगवानने मांगी व गेरे चढाववानो करी नहि. आ ऊपरयी पोलिटिकल एनंटे उदेपुर रीवान चालु कराव्यो, भने सबळी श्वेतांबरी काम न.री अतरेनी स्थिति जाहेर करी. अने साथे रीतभातो चालु यई गई. फक्त एक क्षु चढ वसलाह आपी के तरतन तेनो कबजो लई लेव. बानु न बाकी राख्यु, ते पण ते दहेरासरना पर. उदेपुर राज्ये तस्तन एक लश्कर मोकली कब मो ताने लईने, नहिं तो ते चढायवानो प्रयाप्त पण ते गामनो वडाव्यो. भा बनाव १९३२नी श्वेतांबरी रमान तरफथी थई गयो, पण तेमां साल लामा थयो. अने स्यारथी ते अस्यार सुधी पाछा पड्या अने ते वात मुलत्वी रही. भावी आन राज्यनी हकुमत चाळे छे. मंडारीजीने तेनी स्थीति जो वधु समय चालु रहे तो दिगंबसत्ता बदल श्रीकेसरीयाजीना मंडारनी उपनमाथी रीओना घळा नाकीना हे ना हको नाश पामे, सेंकडे तेत्रीस टकानी उपज वंशपरम्परा माटे करी अने छेवटे न्यारे सघळा जागे त्यारे शिखरजी आपी. राज्यनी सत्तामां मंदिर आप्यु, ते दिवसेन अने बीना तीर्थोपा थयु,ते प्रमाणे लाखो रुपीया त्यांना असल मंडारपर त्रण ताला ९डयां-एक रा. खाची पोजाना हकने माटे लढवू पडे. दर वरसे
SR No.543190
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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