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________________ मिलते-जुलते हैं। सम्भव है तीनों का स्रोत एक ही रहा इस सम्ब-प में कस्तूरचन्द जी सुमन का एक महत्वहो। अहार के बारहवी सदी के लेखों में गोलापूर्व व पूर्ण लेख पठनीय है। इस लेख में आपने गोलापूर्व जाति गोलालारे दोनों जातियों के स्वतंत्र उल्लेख है"। सम्भन का उद्भव गोलाकोट से माना है। इस लेख मे अन्य मतो है ये नवमी-दसवीं शती मे अलग-अलग हुई हो। मोल- के बारे में ऊहापोह की है एव गोलापूर्व जाति के इतिहास सिंघारे जाति का इतिहास हात नहीं हो सका है। व वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। सन्दर्भ-सची १. नाथूराम प्रेमी का मत-श्री अखिल भारतर्वीय दि० १६ यशव कुमार मलैया, 'गोलापूर्व जाति के परिप्रेक्ष्य जैन गोलावं डायरेक्टरी, प्रकाशक-मोहनलाल जैन म', पं. वंशीधर व्याकरणाचार्य अभिनंदन ग्रंथ, काव्यतीर्थ, मागर १९४०, पृ० क । १९६०, पृ० १०३-१६० । २. परमानन्द शास्त्री, जैन समाज की कुछ उपजातियाँ, २०. The History and Cuiture of the Indian अनेकात, जून १९६६, पृ० ५० । People, V.II, Bhartiya Vidya Bhavan, ३. मुन्नालाल रांधेलीय का मत-गोलापूर्व डाइरेक्टरी 1954, P. 63. पृ० झ। २१. वही, पृ०६। ४. गोलापूर्व डायरेक्टरी, पृ० ग । २२. The History and Culture of the Indian ५. परमानन्द शास्त्री , अनेकान्त, जून १८६६, पृ. ५.1 People, V.II, Bhartiya Vidya Bhavan, ६. रामजीत जैन एडवोकेट, 'गोल्लादेश', अप्रकाशित लेख 1951, P. 9. ७. यशवंत कुमार मलया, 'गोल्लादेश व गोल्लाचार्य की २३. J. Davson, A classic Dictionary of Hindu पहिचान'। Mythology & Religion, 1982, P. 159. ८. एल, के. अनन्तकृष्ण अय्यर, The Mysore Tribes २४. A Historical Atlas of South Asia, P. 108. ___and Castes, पृ० १६७ २४२, भाग ३, १९३० ।। ६२० । २५. शिशिर कुमार मित्र, पृ० ३२ । ६. सुदामा मिश्र, Janapad States in Aocient २६. वही । India, १९७३ । २७. Jainism', in Encyclopedia Brittanica, १०. यही। ,P.275. ११. फलचन्द सिद्धान्त शास्त्री, 'गोलापून्विय , डा.दर - २८. सम्मनलाल जैन न्यायतीर्थ, श्री लवेच दि. जैन समाज बारीलाल कोठिया अभिनंदन ग्रन्थ, १९८२ । इतिहास, १९५१ । १२. रामजीत जैन, 'गोलालारे-खरोआ उत्पत्ति',अ. लेख। १३. गोलापूर्व डाइरेक्टरी, पृ० २०० । २६. राम जी जैन, 'गोलालारे-खरोवा उत्पत्ति' अ. लेख। १४. हिन्दी विश्वकोष, सं० नगेन्द्रनाथ वस १९२३ । ३०. रामजीत जैन, जैसवाल जैन इतिहास, १९८८, प्र० १५. A Historiral Atlas of South Asia Ed. J. जसवाल जैन समाज, खालि र । E. Schwartzberg, 1978, P. 107. ३१. रामजीत जैन, 'पद्मावती पुरवाल', अप्र० लेख।। १६. हीरालाल जैन; जैन शिलालेख संग्रह,प्र. भाग १८९८ ३२. रामजीत जैन, वहियान्वय १९८७, प्र० लालमणि १७. शिशिर कुमार मित्र, The Early Rulers of प्रसाद जैन, ग्वालियर । Khajuraho, Motilal Banarsidas, 1970. ३. यशवत कुमार मलैया, "कोलाचार्य कौन थे ." १८. शारदा श्रीनिवासन, 'Dravidian Words in अप्रकाशित लेख। Desinamamala', Journal of the Oriental ३४. शिशिर कुमार मित्र, पृ० ६३ । Institute, vxxi, No. 2. Sept. 1971, p. 114. ३५ अयोध्याप्रसाद पाडेय, चन्देलकालीन बुन्देलखड का
SR No.538044
Book TitleAnekant 1991 Book 44 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1991
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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