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પ્રાકૃત-પાઠાવલી
उप
सव्वं भन्ते ! मेहुणं पञ्चक्खामि-नेव सयं मेहुणं सेविज्जा, नेवऽन्नेहिं सेवावेज्जा, मेहुणं सेवंते वि अन्ने न समणुजाणामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं ।।।
सव्वं भन्ते ! परिग्गरं पञ्चक्खामि-नेव सयं परिग्गहं परिगिण्हेज्जा, नेवऽन्नेहिं परिग्गरं परिगिण्हाविज्जा, परिग्गहं परिगिण्हंते वि अन्ने न समणुजाणामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं ।।
सव्वं भंते ! राइभोयणं पञ्चक्खामि-नेव सयं राई भुंजेज्जा, नेवऽन्नेहिं राई भुंजाविज्जा, राई भुंजते वि अण्णे न समणुजाणामि जीवज्जीवाए तिविहं तिविहेणं ।। -समणमुत्तं.
पंचमो पाढो
दुक्खं जे कोहदंसी से माणदंसी, जे माणदंसी से मायदंसी, जे मायदंसी से लोभदंसी, जे लोभदंसी से पेज्जदंसी, जे पेज्जदंसी से दोसदंसी, जे दोसदंसी से मोहदंसी, जे मोहदंसी से गन्भदंसी, जे गब्भदंसी से जम्मदंसी, जे जम्मदंसी से मारदंसी, जे मारदंसी से णिरयदंसी, जे णिरयदंसी से तिरियदंसी, जे तिरियदंसी से दुक्खदंसी॥ -आयारंगसुत्त.
___ छटो पाढो
अप्पा से ण दीहे, ण हस्से, ण बट्टे, ण तंसे, ण चउरंसे, ण परिमंडले; ण किण्हे, ण णीले, ण लोहिए, ण मुक्किले; ण सुरहिगंधे, ण दुरहिगंधे; ण तित्ते, ण कडुए, ण कसाते (ए), ण अविले, ण महुरे; ण कक्खडे, ण मउए, ण गरुए, ण लहुए, ण सीए, ण उण्हे, ण गिद्धे, न लुक्खे; ण काऊ(ओ), ण रुहे, ण संगे, ण इत्थी, ण पुरिसे, " अन्नहा; परिणे, सण्णे. ___उवमा ण विज्जति, अरूवी सत्ता; अपयस्स पयं नत्थि, सव्वे सरा णिअटुंति, तक्का जत्थ ण विज्जति, मती तत्थ ण गाहिता, ओए, अप्पतिट्ठाणस्स खेयन्ने. से ण सद्दे, ण रूवे, ण गंधे, ण रसे, ण फासे इचेतावति त्ति बेमि.
-आयारंगसुत्तं. सत्तमो पाटो
विरागो अप्पं च खलु आउयं इहमेगेसि माणवाणं. तं जहा:-सोयपरिणाणेहि परिहायमाणेहिं, चक्खुपरिणाणेहि परिहायमाणेहिं, घाणप० ५०, रसणप० ५०, फासप० ५०, अभिकंतं च खलु वयं संपेहाए, तओ से एगया मूढभावं जणयति.