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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुत सागर, माघ २०५५ १२ સ્વ. ઇન્દિરા ગાંધી, રાષ્ટ્રપતિ સ્વ. જ્ઞાની ઝેલસિંહ અને શ્રી શંકરદયાલ શર્મા, શ્રી દેવગૌડા અને શ્રી અટલબિહારી બાજપેઈ જેવી મહાન વ્યક્તિઓ આ રાષ્ટ્રસંતને મળી છે. અને તેમની સાથે વિચારવિમર્શ કર્યો છે. આ રીતે અનેક ક્ષેત્રના અગ્રણીઓ એમને મળ્યા છે અને ધર્મ, સમાજ અને રાષ્ટ્રના વિકાસનાં અનેક કાયમાં આપશ્રીનું માર્ગદર્શન પ્રાપ્ત કર્યું છે. શ્રી મહાવીર જૈન આરાધના કેન્દ્ર સંસ્થા રૂપ આ તીર્થક્ષેત્ર અને જ્ઞાનમંદિરની સ્થાપના દ્વારા જ્ઞાનની ધારા વહાવીને રાષ્ટ્રના ઉત્થાનમાં રાષ્ટ્રસંતે અનોખું પ્રદાન કર્યું છે. આ __ पृष्ठ २ का शेष वृत्तान्त सागर संस्था में सुन्दर लाभ लिया. संस्था के प्रमुख श्री सोहनलालजी चौधरी साहेब आदि ट्रस्टीगण ने श्री घेवरचंदजी का शाल ओढ़ाकर बहुमान किया. धर्मसभा के अन्त में चाँदी की गिन्नियों से प्रभावना की गई. इस चातुर्मास दौरान पूज्य गुरुदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के दर्शनार्थ गुजरात के गवर्नर महामहिम श्री अंशुमानसिंहजी, मुख्य मंत्री श्री केशुभाई पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री श्री शंकरसिंह वाघेला, परिवहन श्री श्री बिमलभाई शाह, विधानसभा के स्पीकर श्री धीरूभाई शाह, राजस्थान के शिक्षा मंत्री श्री गलाबचन्द टारिया, राजस्थान भा.ज.पा की उपाध्यक्ष श्रीमती ताराभण्डारी तथा सिरोही के महाराजश्री रघुवीरसिंहजी आदि कई महानुभाव श्रीमहावीर जैन आराधना केन्द्र- कोबा में पधारें. गुजरात के साणंद में प.पू. आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. का दस साल बाद ७ जनवरी ९९ को पदार्पण हुआ. पूज्यश्री के पधारने से श्रीसंघ में अपूर्व उल्लास छा गया. वाचक मित्रों को याद दिलायें कि यह वही धर्म नगरी है जहाँ पर बरसों पहले पूज्यश्री ने दीक्षा ग्रहण की थी. पूज्यश्री के शिष्यरत्न प.पू. पंन्यास श्री अमृतसागरजी म.सा. एवं उनके शिष्य पू. मुनिराज श्री नयपद्मसागरजी की जन्मभूमि भी यही है. श्रीसंघ ने इस प्रसंग पर प्रभुभक्ति सहित पंचालिका महोत्सव खूब ठाटबाट से मनाया. राष्ट्रसन्त पूज्य आचार्यश्री आदि मुनिवरों की पावन उपस्थिति में पू. साध्वी श्री कुसुमश्रीजी म. के समाधिमय कालधर्म की प्रथम पुण्य तिथि निमित्त श्री साबरमती जैन संघ ने श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिन मंदिर के प्रांगण में विविध महापूजन सहित प्रभुभक्ति का महोत्सव मनाया. पूजन में जीवदया की सराहनीय टीप हई *अहमदाबाद स्थित आंबलीपोल, झवेरीवाड के उपाश्रय में योगनिष्ठ श्रीमदबुद्धिसागरसूरि म.सा. के समुदायवर्ती पू. साध्वीश्री वसन्तश्रीजी म. की प्रशिष्या साध्वीश्री पीयूषपूर्णाश्रीजी का वर्धमान तप की १००वीं ओलीजी का निर्विघ्न पारणा हुआ. पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्यदेवश्री की निश्रा में इस प्रसंग पर प्रभु भक्ति का सुन्दर आयोजन किया गया.. अचिार्य श्री भद्रबाहुसागरसूरिजी म.सा. का अहमदाबाद में कालधर्म प.पू. सरल स्वभावी, स्वाध्याय रसिक, शान्तमूर्ति आचार्य श्री भद्रबाहुसागरसूरीश्वरजी म.सा. ८२ वर्ष की अवस्था में वि.सं. २०५५ पोष शुदि १२, ३० दिसम्बर १९९८ को नमस्कार महामन्त्र का स्मरण करते हुए समाधिपूर्वक कालधर्म को प्राप्त हुए. आप में स्वाध्याय का दृढ़ अनुराग था. सदैव हाथ में पुस्तक प्रतादि लिये ज्ञानार्जन करते ही रहते थे. अन्तिम चातुर्मास आपने श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र- कोबा में किया. ५५ वर्ष के दीक्षा पर्याय में आपने विविध उग्र तपश्चर्याओं में वर्धमान तप की ७३ ओलियों के साथ ही छट्ठ, अट्ठाई वर्षीतप आदि निर्विघ्न रूप से सम्पन्न की थीं. पूज्यश्री ने गुजरात के अतिरिक्त राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र आदि में चातुर्मास कर जिन शासन की प्रभावना की थी. आपके चारित्र धर्म एवं शासन प्रभावना की समस्त संघ अनुमोदना पूर्वक गुणानुवाद करता है. पिछले कई दिनों से आपके अस्वस्थ होने पर पूज्य आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य-प्रशिष्यादि ने खुब सुन्दर वैयावच्च की थी. For Private and Personal Use Only
SR No.525258
Book TitleShrutsagar Ank 1999 01 008
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain, Balaji Ganorkar
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year1999
Total Pages16
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size1 MB
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