SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ था, उसका ही एक उन्मेष यह था। वही प्रतिबिम्ब यहाँ तलाशना चाहिये। इनके माध्यम से भगवान् महावीर या तीर्थंकर ऋषभदेव की समकालीन संस्कृति की क. सू. बा. टी. चित्र ६७ uT ITIT MAAMINENTAL CUHTHERHIRONIALL WEAMMERIDEL NETIDULHAUHURATRAINI 55A HTT और re. . ."OMPUS MAINPOST o odla my admi JDUCTUNTILTE TIMTEMia 'त्राहि त्राहि बोलते अबोध जीव थे जहाँ, नेमिराज आज आप प्राणदान दीजिये। -श्री शिवानन्दन काव्य ; विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी; स. ६, वृ. २४ अभिव्यक्ति का सहज ही कोई प्रश्न नहीं है। शा. भीमसिंह माणक ने स्वयं अपनी कई भूलों को प्रस्तावना में माना है; इसलिए ग्रन्थ में सामान्यतः जो भी आयोजन है वह सौंदर्यवृद्धि की दृष्टि से ही है; क्योंकि मध्ययुग में जैन चित्रकला का इतना विकास हो चुका था कि उसकी तुलना में ये चित्र कहीं नहीं ठहरते। तथापि कई चित्र अच्छे हैं और इसी दृष्टि से इन्हें यहाँ पुनः मुद्रित किया गया है। इस टीका की एक अन्य विशेषता यह है कि यह गुजराती भाषा में प्रकाशित है, किन्तु नागरी लिपि में मुद्रित है। जिस काम को सन्त विनोबा भावे आज करना चाहते हैं; वह काम आज से करीब ९२ वर्ष पूर्व कल्पसूत्र की इस बालावबोध टीका के द्वारा शुरू हो गया था। सम्पूर्ण टीका नागरी लिपि में छपी हुई है; इससे इसकी पहुँच तो बढ़ ही गयी है साथ ही साथ उस समय के कुछ वर्णों का क्या मुद्रण-आकार था इसकी जानकारी भी हमें मिलती है। इ, भ, उ, द, द्र, ल, छ, क्ष इत्यादि के आकार दृष्टव्य हैं। अब इनमें काफी अन्तर आ गया है। इस तरह यह टीका न केवल धार्मिक महत्त्व रखती है वरन् भाषा, लिपि और साहित्य; चिन्तन और सद्विचार की दृष्टि से राष्ट्रीय महत्त्व की भी है। हमें विश्वास है 'कल्पसूत्र' की मूल पाण्डुलिपि के सम्बन्ध में पुनः छानबीन आरम्भ होगी और उसे प्राप्त किया जा सकेगा। तीर्थंकर : जून १९७५/७० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520602
Book TitleTirthankar 1975 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy